आग से सुरक्षा की तैयारी

Afeias
20 Jan 2020
A+ A-

Date:20-01-20

To Download Click Here.

गत वर्ष भारत में तीन बड़ी दुर्घटनाएं ऐसी हुई हैं, जो अग्नि से जुड़ी हुई थीं। पहली घटना सेन्ट्रल दिल्ली के एक होटल में हुई। दूसरी घटना, सूरत के एक कोचिंग संस्थान में और तीसरी, दिल्ली के रिहायशी इलाके में चल रही फैक्ट्री में हुई। 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिहायशी इमारतों में आग लगने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। आग लगने की पिछली घटनाओं का इतिहास देखते हुए, इमारतों में अग्नि शमन नियमों का पालन नहीं किया गया था। इनमें लगने वाली आग के तीन मुख्य कारण रहे हैं।  इलैक्ट्रिकल शार्ट सर्किट, गैस सिलेंडर या गैस स्टोव का फटना, मानवीय चूक और गलत आदतें। ये सभी कारण ऐसे हैं, जिनका समाधान किया जा सकता है।

नेशनल बिल्डिंग कोड, 2006 का पालन

नियमन के रूप में नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुपालन को अनिवार्य किया जाना चाहिए। इस कोड़ में निर्माण, रखरखाव एवं सभी प्रकार की इमारतों के संचालन संबंधी दिशानिर्देश दिए गए हैं। साथ ही आग व जीवन सुरक्षा संबंधी एक अलग अध्याय भी दिया गया है।

आग से सुरक्षा हेतु उपाय

  • इमारतों को अग्नि रोधक सामग्री से बनाया जाए । फायर और स्मोक अलार्म अनिवार्य रूप से लगाया जाए।
  • इमारत का फायर अलार्म, नगर के फायर सिस्टम से जुड़ा हो।
  • इमारत का प्रत्येक तल अग्निरोधी तरीके से विभक्त हो, जिससे आग को फैलने से रोका जा सके।
  • अग्नि के खतरों की जांच के लिए निश्चित समयावधि का तंत्र बनाया जाए।
  • अग्नि सुरक्षा ऑडिट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। फिलहाल इसके लिए कोई निश्चित नियम नहीं है। इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए।
  • इलैक्ट्रिक और अग्निशमन यंत्रों को लगाने के बाद किसी विशेषज्ञ से इनकी क्षमता की जाँच करवाई जानी चाहिए।
  • अग्निशमन सेवाओं का देश में अभाव है। 8,559 फायर ब्रिगेड स्टेशन की मांग की तुलना में 2,987 फायर स्टेशन ही हैं।
  • अग्नि सुरक्षा से जुड़ी जागरूकता का आना जरूरी है। स्कूलों में इससे जुड़ी शिक्षा एवं आग की घटनाओं से बचने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • सामुदायिक सोसायटी में भी विशेषज्ञ या एजेंसी की सहायता से समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।
  • बुनियादी ढांचे में भी परिवर्तन की जरूरत है। स्मार्ट सिटी मिशन में ‘स्मार्ट नियंत्रण कक्ष’ होने चाहिए, जो आग लगने की स्थिति में सहायक की भूमिका निभा सके।

भारत को अग्नि से सुरक्षित देश बनने की दिशा में एक लम्बा रास्ता तय करना है। हमें पिछली दुर्घटनाओं से सबक लेकर सुरक्षित भारत की ओर कदम बढ़ाने चाहिए।

‘द हिन्दू’ में प्रकाशित दीपेन मेहता के लेख पर आधारित। 2 जनवरी, 2020

Subscribe Our Newsletter