डेटा सुरक्षा कानून

Afeias
21 Aug 2018
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Date:21-08-18

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हाल ही में डेटा सुरक्षा कानून का मसौदा प्रस्तावित किया गया है। विशेषज्ञों की समिति द्वारा तैयार यह मसौदा, अमेरिकी तकनीक कार्पोरेशन के प्रभुत्व से देश के नागरिकों के हितों की रक्षा कर सकेगा। यह कानून नागरिकों को डेटा के लाभ को सुरक्षित और सुगम रूप से उपलब्ध कराने का द्वार सिद्ध होगा। साथ ही इस कानून के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए नागरिकों की निजता के अधिकार की सुरक्षा की जा सकेगी।

इन बातों के मद्देनजर समिति ने मोटे तौर पर चार बिन्दु प्रस्तुत किए हैं –

  • जो भी कोई किसी का डेटा प्रयोग में लाता है, वह उस डेटा का नियंत्रक नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए जिम्मेदार या न्यासीय होगा। यह एक बड़ा परिवर्तन है।
  • कई स्थानों पर उपभोक्ताओं से स्वीकृति ली जाती है। ‘आई एग्री’ के विकल्प पर उपभोक्ता यूं ही स्वीकृति दे देते हैं। जाहिर सी बात है कि एक आम व्यक्ति इस फॉर्म की तकनीकी भाषा को नहीं समझ पाता। कानून के द्वारा इस विसंगति को दूर करने का प्रयत्न किया गया है। अब एप या वेबसाइट का संचालक किसी उपभोक्ता की उतनी ही जानकारी प्राप्त कर सकेगा, जितनी सेवा प्रदान करने के लिए जरूरी होगी। जिस उद्देश्य के लिए जानकारी ली जा रही है, उसे भी स्पष्ट करना होगा।
  • यदि किसी के डेटा का उपयोग किसी की निजता के उल्लंघन के लिए किया जाता है, तो इसकी सुनवाई के लिए डेटा सुरक्षा प्राधिकरण (डी पी ए) के गठन का प्रावधान किया गया है। यह एक स्वतंत्र संस्था होगी, जिसमें न्यायिक प्रक्रिया चलाने की भी व्यवस्था की जाएगी। इस संस्था को कंपनी के विश्व स्तर के कारोबार में से 4 प्रतिशत तक की राशि दण्डस्वरूप लिए जाने और पीड़ित को उसके नुकसान की भरपाई किए जाने की व्यवस्था करने का अधिकार होगा। अगर डेटा नियंत्रक कंपनी सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र की है, तो वह भी अन्य नियंत्रकों की तरह 15 करोड़ तक के दण्ड की भागी होगी।
  • समिति ने डेटा के स्थानीय भंडारण पर बहुत जोर दिया है। इसके लिए देश भर में कई डेटा केन्द्र बनाने होंगे। इसके माध्यम से देश में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का एक पारिस्थितिकी तंत्र बन पाएगा और रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।

श्रीकृष्णा डेटा सुरक्षा विधेयक के मसौदे में कुछ कमियां भी नजर आती हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

  • डेटा से जुड़े अपराध में समिति, भारत और भारतीय नियोक्ताओं द्वारा व्यक्तिगत देश के प्रोसेसिंग की बात करती है। इससे भारत में कम्प्यूटर, कम्प्यूटर सिस्टम और कम्प्यूटर नेटवर्क से जुड़े मौजूदा कानून में कमजोरी आ सकती है।
  • समिति व्यक्तिगत डेटा से अलग किसी प्रकार की अन्य जानकारी साझा करने को संज्ञान में नहीं लेती। हाल ही में फेसबुक द्वारा केम्ब्रिज एनालिटिका को बेची गई जानकारी भी व्यक्तिगत नहीं थी। परन्तु उसका दुरूपयोग हो रहा था। अतः विधेयक में इस बिन्दु पर संशोधन किया जाना चाहिए।
  • समिति ने व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए ‘आई एग्री’ या उपभोक्ता की स्वीकृति लेने को अनिवार्य जैसा करने पर जोर दिया है। परन्तु समिति ने इस सहमति के बाद डेटा का दुरूपयोग होने की स्थिति में सुरक्षा का कोई प्रावधान नहीं दिया है।

कुछ कमियों के बावजूद विधेयक का मसौदा भारत के डिजीटल नेता बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हो सकता है।

समाचार पत्रों पर आधारित ।

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