सुरक्षा की पहली पंक्ति की मजबूती

Afeias
27 Jun 2019
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Date:27-06-19

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भारत की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति नाजुक रही है। 2008 में 26/11 के बाद से पुलिस फोर्स, तटीय सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की तैनाती को विकेंद्रीकृत करने के बाद से कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ है। हम सबके लिए यह राहत की बात है। लेकिन उस दौरान देश की पुलिस व्यवस्था में जो भी परिवर्तन किए गए हैं, वे दिखावटी अधिक हैं।

देश से अभी भी आतंकवाद का साया हटा नहीं है। उरी और पुलवामा जैसी घटनाएं देश को हिला देने के लिए काफी हैं। अतः आंतरिक सुरक्षा की दिशा में पहला कदम पुलिस को चुस्त-दुरूस्त करना है। पुलिस में बुनियादी ढांचे; जैसे – परिवहन, कर्मचारी, संचार, फारेंसिक स्त्रोत आदि में आमूलचूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है।

2006 में उच्चतम न्यायालय ने पुलिस सुधार से संबंधित अनेक सिफारिशे की थीं, जिनको तुरंत ही अमल में लाने की आवश्यकता है।

1. देश के प्रत्येक प्रमुख राज्य में आतंकवादी हमले से निपटने के लिए एक स्पेशल फोर्स होनी चाहिए।

2. महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ़ ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एक्ट (मकोका) की तरह का कानून अन्य राज्यों में भी लागू किया जाना चाहिए।

3. साइबर अपराध से निपटने के लिए विशेषज्ञ स्टाफ की आवश्यकता है। केवल दरोगा और कांस्टेबल को प्रशिक्षण देकर काम नहीं चल सकता। इसके लिए आईआईटी से भी विशेषज्ञों की नियुक्ति की जानी चाहिए।

4. राष्ट्रीय आतंकवादरोधी केंद्र में भी अनेक परिवर्तनों की आवश्यकता होगी।

5. गैरकानूनी गतिविधि सुरक्षा कानून को अधिक अधिकार दिए जाने चाहिए। अभी तक टेररिस्ट एण्ड डिस्राप्टिव एक्टिवीटिज एक्ट (टाडा) और प्रिवेन्शन ऑफ़ टेररिज्म एक्ट (पोटा) जैसे कानूनों की भरमार है, लेकिन इन्हें और शक्तिशाली बनाने की जरूरत है।

6. सरकार का पुलिस को समवर्ती सूची में लाने का प्रयास सराहनीय है। संविधान के निर्माण से लेकर अब तक अपराध एवं कानून के दायरे में जमीन-आसमान का अंतर आ चुका है। हथियारों और नशीलें पदार्थों की तस्करी आदि की समस्या अंतरराष्ट्रीय है। अतः इससे निपटने के लिए व्यापक कानूनों की जरूरत को समझा जाना चाहिए।

7. आज छोटी- छोटी समस्याएं भी राज्य पुलिस के नियंत्रण में नहीं रह पाती हैं। इनके लिए केंद्रीय बल को लगाना पड़ता है। पुलिस के समवर्ती सूची में आने से पुलिस को ऐसे मामलों से निपटने में आसानी होगी।

8. सीबीआई का भी नवीनीकरण होना चाहिए; भले ही इसके लिए एक विधेयक लाया जाए। अभी तक सीबीआई का संचालन 1966 के दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेबलिशमेंट एक्ट के अनुसार होता है।

9. केंद्रीय सशस्त्र सेना में भी अनेक अनियमितताएं व्याप्त हैं। इसको सुधारने के लिए एक उच्च स्तरीय आयोग का गठन किया जाना चाहिए, जो इनके अनुशासन, नैतिकता, पदोन्नति और नियुक्ति जैसे क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं का समाधान कर सके।

वर्तमान में देश की आंतरिक सुरक्षा को सबसे अधिक खतरा जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और मध्य भारत के माओवादियों से है। अलग-अलग राज्यों में फैली अलग-अलग प्रकार की अशांत स्थितियों का सामना करने के लिए राज्य की पुलिस व्यवस्था का मजबूत होना बहुत जरूरी है। सरकार को इस दिशा में ठोस और तत्परता से कदम उठाने चाहिए।

‘द इंडियन एक्सपेस‘ में प्रकाशित प्रकाश सिंह के लेख पर आधारित। 6 जून, 2019

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