भारतीय तटों की सुरक्षा

Afeias
14 Jan 2019
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Date:14-01-19

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गत माह 26/11 की दसवीं वर्षगांठ, हमें भारत की तटीय सुरक्षा का पुनरावलोकन करने को बाध्य करती है। वह दुर्घटना भारत की सुरक्षा एजेंसियों की चेतना पर एक घाव की तरह है। 26/11 के बाद भारत के तटीय रक्षा तंत्र को नौसेना, तटरक्षक सेना और समुद्री पुलिस जैसे तीन टीयर तंत्र में बदल दिया गया। इससे संबंधित बुनियादी ढांचों के लिए निधि बढ़ा दी गई। तटीय क्षेत्र में रडार स्टेशन और पुलिस थाने बढ़ा दिए गए।

तटीय सुरक्षा के लिए बनाई गई नीतियों के अंतर्गत आने वाली कई योजनाएं आज भी धीमी चाल से आग बढ़ रही हैं। हाल ही की एक कैग रिपोर्ट बताती है कि अधिकांश योजनाएं सुस्त पड़ी हुई हैं। आवंटित धनराशि का बहुत-थोड़ा ही भाग उपयोग में लाया जा सका है। तटीय सुरक्षा को लेकर चल रही ये कमियां सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत खतरनाक हैं। इन पर नजर डाली जानी चाहिए, और जल्द ही इन्हें दूर करने के उपाय भी ढूंढे जाने चाहिए।

  • समुद्री सुरक्षा एजेंसिंयों की प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं। भारतीय नौसेना के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं। वे संयुक्त सैन्य अभ्यास के अलावा नेशनल कमांड एण्ड कंट्रोल कम्यूनिकशन इंटेलीजेंस नेटवर्क, कोस्टल रडार चेन और मेरीटाइम डोमेन अवेयरनेस प्लान आदि के गठन पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।

दूसरी ओर, तटरक्षक अधिकारी योजनाओं की प्रगति को लेकर अधिक चौकस हैं। वे बल की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहे हैं। उनके अनुसार केवल तकनीकी प्रगति पर्याप्त नहीं है। उन्हें समुद्री पुलिस का पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है।

  • भारत में सर्वोच्च समुदी प्राधिकरण का अभाव है। समुद्री एजेंसियों की बड़ी संख्या को देखते हुए, एक स्थायी तटीय सुरक्षा मैनेजर का होना अति आवश्यक है। राष्ट्रीय समुंदरी प्राधिकरण के गठन से संबंधित एक विधेयक लंबित पड़ा हुआ है।
  • 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 227 बंदरगाहों में से 180 में न्यूनतम सुरक्षा व्यवस्था है। इनमें से 75 में तो कोई सुरक्षा ही नहीं है। इसके अलावा अनेक बंदरगाह ऐसे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय जहाज एवं बंदरगाह सुविधा कोड का पालन नहीं करते। यह कोड आतंकवाद से सुरक्षा प्रदान करने हेतु बनाया गया है। इन सबकी पूर्ति के लिए भारत में कोई कानून भी नहीं है।

इन कमियों के बावजूद भारत के तटों की सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में जो भी प्रयास किए गए हैं, और किए जा रहे हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • नौसेना, तटरक्षक बल और समुद्री पुलिस के बीच ‘सागर-कवच’ अभ्यास के द्वारा तादात्म्य बढ़ाया जा रहा है।
  • मीडिया रिपोर्ट है कि जनवरी 2019 में तटीय सुरक्षा में संलग्न नौ अलग-अलग हित धारकों और एजेंसियों का परीक्षण किया जाना है। इसमें हथियार और मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी एवं समुद्री प्रदूषण जैसे अपरंपरागत मुद्दों को लक्ष्य बनाकर चला जाएगा।
  • समुद्री सुरक्षा में मछुआरों की अहम् भूमिका को समझा गया है। उनकी नावों में ट्रेकिंग डिवाइस लगाने का काम अभी बाकी है।
  • समुद्र में आतंकी गतिविधियों के बढ़ने की आशंका को देखते हुए नौसेना ने लेयर्ड हार्बर डिफेंसिव ग्रिड लगान का काम शुरू कर दिया है।

प्रयासों के बावजूद भारत की विविध तटीय चुनौतियां गंभीर हैं, जो बहुआयामी पहुंच की मांग करती हैं।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अभिजीत सिंह के लेख पर आधारित। 26 नवम्बर, 2018

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