समुद्री सुरक्षा के उपाय

Afeias
03 Mar 2024
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हमें समुद्र में चीन की विस्तारवादी नीतियों से भी चुनौती मिलती है। दक्षिण चीन सागर या काला सागर में भारत को भले सीधा नुकसान न हो, लेकिन चीन की मौजूदगी अब हिंद महासागर में भी बढ़ने लगी है, जिससे उसकी नीतियों का पता चलाता है। चीन पैसों के बल पर हमारे पड़ोसी देशों को प्रभावित करने में जुटा है। वह भारत को घेरना चाहता है। श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह तो उसके हिस्से आ ही गया है, कोलंबो बंदरगाह तक भी उसके जहाज आने लगे हैं। ग्वादर में उसकी उपस्थिति है। म्यांमार में क्याउकफ्यू बंदरगाह उसके हाथों में है। वियतनाम की नई सरकार पर उसका प्रभाव स्पष्ट है। ऐसे में, हमें न सिर्फ अच्छे पड़ोसी का अपना कर्तव्य पूर्ववत निभाना होगा, बल्कि अतिरिक्त सतर्कता भी बरतनी होगी।

हम कुछ क्षेत्रों में खुद को और मजबूत बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, हमें अपनी नौसेना को और कुशल बनाना होगा। समय के साथ चूंकि चुनौतियां बढती जा रही हैं, इसलिए भारतीय नौसेना को समुद्री गश्ती विमान – एमपीए दिए जाने चाहिए। एमक्यू-9 ड्रोन की खरीद भी जल्दी से जल्दी होनी चाहिए, क्योंकि यह एक घातक यूएवी है, जिससे निगरानी में काफी सुधार आने की संभावना है।

हमें अन्य देशों से भी सहयोग अधिकाधिक बढ़ाना होगा, जिसके लिए ‘कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव’ को मजबूत करना आवश्यक है। यह कॉन्क्लेव दरअसल भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच त्रिपक्षीय सुरक्षा को लेकर बनाया गया था।

खुफिया सूचनाओं को अधिक से अधिक साझा करने के प्रयास भी किए जा सकते हैं।

समुद्री सुरक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी हो सकता है। जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का गठन किया गया है, कुछ वैसी ही कोशिश समुद्री सुरक्षा के लिए एक सामूहिक सेना बनाकर की जा सकती है। इस ‘संयुक्त राष्ट्र समुद्री सुरक्षा बेड़ा’ का उद्देश्य उन क्षेत्रों में चौकसी करना होना चाहिए, जो काफी संवेदनशील हैं।

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