पेगासस पर आदेश से निजता की सुरक्षा

Afeias
22 Nov 2021
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हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के कथित उपयोग की जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया है। इसी संदर्भ में प्रश्न उठता है कि लोकतंत्र में नागरिकों के निजता के अधिकार की किस सीमा तक उल्लंघन का अधिकार किसी सरकार को दिया जा सकता है ? भारतीय सरकार ने इसकी कोई सीमा नहीं रखी है। पेगासस का मामला भी ऐसा ही है, जिसमें सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर इस मेलवेयर के द्वारा जासूसी करवाई है।

पेगासस क्या है ?

यह एक ऐसा मेलवेयर है, जिसे इजरायल की सरकार एक निर्यात लाइसेंस के तहत अन्य देशों की सरकारों को बेच सकती है। इसका उपयोग विपक्षी दलों के नेताओं, उच्च न्यायपालिका कर्मी, चुनाव आयोग के अधिकारी और पत्रकारों के खिलाफ जासूसी करने के लिए किया गया था।

निजता पर प्रावधान व समिति की भूमिका –     

वर्तमान में सरकार, बिना किसी जवाबदेही के नागरिकों की जासूसी कर सकती है। इसके अलावा एजेंसियां इस तरह की जासूसी के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा को मीडिया और सार्वजनिक मंच से बिना किसी बाधा के लीक कर सकती हैं। नीरा राडिया टेपों का मामला इसी से जुड़ा हुआ रहा है। लेकिन इस बारे में बहुत कम चर्चा की गई कि बातचीत कैसे रिकार्ड की गई, और फिर उसे सार्वजनिक कैसे किया गया। गोपनीयता कोई पूर्ण अधिकार नहीं है। जनहित में निजता को भंग किए जाने के कई आधार हैं, जैसे-आतंकवादी हमले को रोकने के लिए, अपराध की जांच करने और इसी तरह के अन्य मामलों के लिए।

न्यायालय का आदेश- पेगासस पर बनी समिति को नागरिकों की निजता उल्लंघन को विनियमित करने के लिए कानूनी परिवर्तनों की सिफारिश करने का आदेश दिया गया है। संसद द्वारा उचित कानूनी परिवर्तन करने तक गोपनीयता की रक्षा के लिए अंतरिम उपाय करने का भी आदेश महत्वपूर्ण है।

अंततः देश में गोपनीयता भंग करने वालों को उनके आचरण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। अमेरिका में तो नागरिक की जाँच करने के लिए भी न्यायालय के आदेश की आवश्यकता होती है। वहाँ पर जाँच के परिणाम और उस पर आधारित एक्शन का रिकार्ड किया जाना जरूरी है, जिसे विधायिका की समिति को रिपोर्ट किया जाता है। भारत में भी इसी तरह के प्रावधान होने चाहिए। इस प्रकार के विनियमन के अभाव में किसी व्यक्ति के जीवन के किसी भी पहलू पर नजर रखने की बढ़ती तकनीकी क्षमता, स्वतंत्रता और स्वायत्तता के विचार को निष्फल कर सकती है।

समाचार पत्रों पर आधारित।

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