सरहद का सुरक्षा प्रहरी – ए सैट
Date:28-06-19 To Download Click Here.
मार्च में भारत ने एंटी सेटेलाइट मिसाइल (ए-सैट) का प्रक्षेपण किया था। इसका उद्देश्य उन इमेजिंग सेटेलाइट से भारत के अंतरिक्ष जगत की रक्षा करना है, जो दूरसंचार, नेवीगेशन, पृथ्वी का अवलोकन और निगरानी उपग्रहों में भारत को नुकसान पहुँचा सकती हैं या अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं।
चीन के कदम हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। उसने 2007 में ही इस प्रकार की ए-सैट मिसाइल का प्रक्षेपण कर लिया था। कुछ दिनों पहले इस प्रकार के कई सैटेलाइट का प्रक्षेपण समुद्र में एक जहाज से भी किया गया है।
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी ऊँचाई पर है। परंतु अंतरिक्ष यात्री को भेजने तथा चंद्रमा की यात्रा के आगामी कार्यक्रम के साथ भारत की सुरक्षा जरूरतों के अनुकूल कुछ कार्यक्रमों को सार्थक करने की भी आवश्यकता है। भारत ऐसे पड़ोसी देशों का सामना कर रहा है, जो किसी भी प्रकार के छदम युद्ध से पीछे नहीं हटते। ये देश ऐसे हैं, जो भारत की कमजोरियों का लाभ उठाते हुए कभी भी उसे नीचे गिराने का प्रयत्न कर सकते हैं। अगर हमने अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं में बढोत्तरी नहीं की, तो साइबर या अंतरिक्ष युद्ध में कभी भी हमें मुँहकी खानी पड़ सकती है।
इस बदलते परिवेश में हम 20वीं सदी के टैंकों से जीत नहीं सकते और न ही इसमें हमारी विशाल सेना कुछ काम आ सकती है। हम अभी भी एकीकृत सेना कमांड से कोसों दूर हैं।
अमेरिका और चीन ने सेना में यूनीफाईड कमांड का लाभ देख लिया है। उनकी सेना की तीनों भुजाएं एक सिंगल कमांड से निर्देशित होने की क्षमता रखती हैं।
साइबर और अंतरिक्ष युद्ध क्षेत्र में हमारी चाल बहुत धीमी है। इस पर ध्यान देकर ही हम अपनी भविष्य की सुरक्षा जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया‘ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित।