प्रौद्योगिकीय संप्रभुता की सुरक्षा

Afeias
16 Jul 2020
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Date:16-07-20

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हाल ही में लद्दाख में चीनी सेना व्दारा की जा रही गतिविधियों को देखते हुए , भारतीय सरकार ने विरोध में , भारत में चल रहे 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए सरकार को ऐसा कदम उठाने की अनुमति प्रदान करती है। यदि भारतीय संप्रभुता के संरक्षण के लिए इंटरनेट तक किसी सामग्री की पहुंच को रोका जाना जरूरी है , तो सरकार को ऐसे प्रतिबंध का अधिकार है।

दूसरी ओर , ब्लॉक की गई ऐप्स के स्वामित्व वाली कंपनियों और चीनी सरकार के बीच किसी भी प्रत्यक्ष संबंध का पता नहीं लगाया जा सका है। परन्तु चीन के राष्ट्रीय खुफिया कानून के अनुसार वहाँ की प्रत्येक प्रौद्योगिकी कंपनी को ‘राज्य की खुफिया जानकारी के साथ सहायता और सहयोग’ करने का कानूनी दायित्व दिया जाता है। इसके अलावा , चीन के साइबर सुरक्षा कानून के अनुसार सभी कंपनियों को सरकारी पर्यवेक्षण के दायरे में रखा जाता है। जब चीन जैसी सरकार भारतीय सीमाओं पर युध्द छेड़ती है , तो भारत को अपनी संप्रभुता की सुरक्षा में ऐप्स के प्रतिबंध जैसा कदम उठाने का पूरा अधिकार है।

यदि भारत में लोकप्रिय चीन की ऐप्स की बात करें , तो टिकटॉक जैसी कंपनी ने 2020 के अपने अंतिम अपडेट में भारतीयों के तमाम डेटा को हथियाने की नीति बना ली थी। अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में कंपनी इस डेटा को चीन के साथ ही अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को शेयर करने का अधिकार रखती थी। क्या यह छद्म युध्द नहीं है ? एक प्रकार से साइबर संसार को भी गलवान घाटी का ही दूसरा रूप मान लिया जाना चाहिए।

भारत के लिए संप्रभुता की रक्षा की दिशा में यह एक शुरूआत है। इस यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए हमें आत्म-निर्भरता (सौर और बैटरी ऊर्जा क्षेत्र में) , उपभोक्ता इलैक्ट्रानिक्‍स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे तीन मोर्चों पर काम करना होगा।

सौर और बैटरी ऊर्जा का क्षेत्र उदीयमान है। कोयले और तेलजनिज ऊर्जा की तुलना में यह काफी सस्ता है। भारत को चाहिए कि इसके शोध / अनुसंधान पर अधिक निवेश करे।

उपभोक्ता -इलैक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में भारत के पास विश्व के बेहतरीन इंजीनियर्स हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आविष्कारकों में से एक राज रेड्डी है। वे इसको विश्व की समस्त जनता को समान रूप से उपलब्ध कराना चाहते हैं। फिलहाल इसकी सर्वाधिक उपयोगिता मेडिसिन के क्षेत्र में है। भारतीय नवोन्वेषक , पहले ही मेडिसिन के अनेक क्षेत्र में बायोबोट्स के उपयोग की तैयारी में हैं।

सरकार को चाहिए कि इस दिशा में की जाने वाली कानूनी प्रक्रिया पर तेजी से काम करे , जिससे सार्वजनिक अस्पतालों में इसे लाया जा सके।

तकनीक के साथ-साथ अपनी अर्थव्यवस्था के लिए हमें सैनिकों की भांति मोर्चा संभालना होगा। कठिन परिश्रम और दृढ़ इच्छा‍ शक्ति ही हमें एक संप्रभु राष्ट्र बनाने की ताकत दे सकती है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अर्घ्य सेनगुप्ता और ललितेश के लेख पर आधारित। 3 जुलाई , 2020

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