कुपोषण की चुनौती से निपटने हेतु प्रयास
Date:08-11-19 To Download Click Here.
वैश्विक रिपोर्टों के अनुसार भारत की गरीबी घट रही है। परन्तु भुखमरी और कुपोषण के मामले में अभी भी भारत की स्थिति दयनीय है। इसी महीने आई यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में पांच साल से कम उम्र के उनहत्तर प्रतिशत बच्चों की मृत्यु का कारण कुपोषण है। इस वर्ष के वैश्विक भूख सूचकांक में 117 देशों की सूची में भारत का स्थान सात पायदान नीचे गिरकर एक सौ दो वें पर आ गया है।
कारण
- भारत की रैंकिंग में गिरावट का एक बड़ा कारण पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ऊंचाई के अनुपात में कम वजन वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
- भारत के छोटे बच्चों में से मात्र 9.6 प्रतिशत बच्चों को न्यूनतम स्वीकार्य आहार मिल पाता है।
- भारत की गिरती स्थिति का प्रमुख कारण बढ़ती जनसंख्या और बच्चों को समय पर पर्याप्त आहार नहीं मिल पाना है।
- जन्म के बाद बच्चों को पर्याप्त पोषक तत्व और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाती हैं। न तो उनका टीकाकरण ढंग से हो पाता है, न ही बीमारियों का समुचित इलाज।
समाधान
- विकास दर को ऊंचाई पर ले जाकर प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रों-कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में ऊँचे लक्ष्यों की प्राप्ति पर ध्यान देने की जरूरत है।
कृषि पर देश की 53 प्रतिशत जनसंख्या निर्भर करती है। वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान मात्र 16 प्रतिशत है। हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी मानसून पर टिकी हुई है। अच्छी बारिश होने से मौद्रिक नीति भी कारगर सिद्ध होती है, अन्यथा नहीं। इसमें सुधार की आवश्यकता है।
- सरकार ने सामाजिक सुरक्षा की दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, जिन्हें तेज करने की जरूरत है।
स्वास्थ्य नीति के तहत सकल घरेलू उत्पाद का ढाई प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है, जो फिलहाल 1.04 प्रतिशत है।
- किसानों के लिए प्रतिवर्ष छह हजार रुपये दिए जाने की नई व्यवस्था से ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण और भूख की समस्या कम होगी।
- सरकार ने अपनी नीतियों को ग्रामीण भारत और गरीबों पर केन्द्रित किया है।
- श्रमिकों को न्यूनतम आययुक्त मजदूरी की एक समान व्यवस्था से भी वंचित वर्ग को लाभ मिलेगा।
- हमें चीन की श्रम कौशल आधारित विकास रणनीति से सीखकर देश के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए।
शैक्षणिक दृष्टि से पीछे छूटे युवाओं को कौशल विकास से लैस करना होगा। उन्हें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों से शिक्षित करना होगा।
- गांवों में बड़ी संख्या में रह रहे गरीब, अशिक्षित और अद्र्धशिक्षित लोगों को अर्थपूर्ण रोजगार देने के लिए निम्न तकनीक विनिर्माण में लगाना होगा।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार करने होंगे। गेहूं और चावल के साथ अन्य पोषक अनाजों का वितरण भी सुनिश्चित करना होगा।
- स्कूलों के मध्यान्ह भोजन में सब्जियों और प्रोटीनयुक्त भोजन परोसने की व्यवस्था करनी होगी।
- देश में दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। बच्चों तक दूध की उपयुक्त पूर्ति और दुग्ध उत्पादों की पहुंच सुनिश्चित करके बच्चों को एनीमिया की चपेट से बचाया जा सकता है।
यूनिसेफ की रिपोर्ट और वैश्विक भूख सूचकांक के मद्देनजर, सरकार को चाहिए कि 2019 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दंपत्ति अभिजीत बनर्जी और एस्थर के द्वारा कुपोषण और भूख की समस्या के प्रस्तुत समाधान पर विचार करे। उस पर अमल करते हुए कारगर रणनीति पर कार्य करना चाहिए।
विभिन्न स्रोतों पर आधारित।