चेन्नई में सभ्यताओं के मेल के स्मरण का प्रयास

Afeias
07 Nov 2019
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Date:07-11-19

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प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति झी जिनपिंग की वूहान में हुई प्रथम अनौपचारिक मुलाकात चीनी औद्योगिक नगरी की झलक देने के उद्देश्य से हुई थी। दूसरी मुलाकात भारतीय नगर मामल्लपुरम में हुई। यूनेस्को द्वारा ऐतिहासिक धरोहर घोषित किए गए इस नगर का भारत-चीन संबंधों में खासा महत्व रहा है। साथ ही इसका महत्व हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में बदलते भू-राजनैतिक और भू-आर्थिक परिदृश्य की दृष्टि से भी है।

  • मामल्लपुरम मंदिर में हुई इस मुलाकात से भारत ने चीन को एक स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है। इस क्षेत्र पर शासन करने वाले चोल और पल्लव राजाओं ने दक्षिण-पूर्व एशिया में अपने साम्राज्य का विस्तार किया था। चीन ने इस क्षेत्र के 3.5 करोड़ वर्ग कि.मी. पर अपना ऐतिहासिक दावा करते हुए जिस प्रकार से सैन्यकरण किया है, वैसा इन राजाओं ने कभी नहीं किया।
  • इस मुलाकात के माध्यम से जहां मोदी चीन-भारत के साहित्य, संस्कृति और व्यापार संबंधों की एक लंबी परंपरा को स्मरण कराने का प्रयत्न कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर चीन न केवल कश्मीर का एक हिस्सा दबाए बैठा है, बल्कि वह पाकिस्तान का साथ देकर भारत के सभ्यतागत ढांचे को क्षत-विक्षत करने का प्रयत्न कर रहा है।
  • कश्मीर जैसे भारत के आंतरिक मामले पर चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में दरवाजे से बैक डोर बातचीत किए जाने का प्रयास किया था। हालांकि यह प्रयास सफल नहीं रहा।
  • बंगाल की खाड़ी के इस मेरीटाइम नगर में दोनों नेताओं की मुलाकात रखे जाने का एक अन्य कारण 2015 में शुरू की गई भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ भी है। 2018 के शंगरी-ला के अपने भाषण में मोदी ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सम्मिलित ढांचे के विकास के बारे में कहा था। यह ढांचा ऐसा हो, जिसमें इच्छुक देशों के बीच खुलापन, कानून का शासन, नौचालन और वायुचालन की स्वतंत्रता हो।

मुलाकात के अंत में दोनों देशों के बीच नौपरिवहन पर समझौता भी हो गया।

  • ट्रम्प प्रशासन के अधिकारी ने चीन को ‘सभ्यताओं के टकराव’ पर नोटिस दिया है। दूसरी ओर भारत, विदेशों में अपनी सांस्कृतिक विरासत को पेश करने में सहजता दिखा रहा है। ह्यूस्टन की सांस्कृतिक प्रस्तुति, दक्षिण-पूर्वी एशिया के प्रति चलाई गई एक्ट ईस्ट नीति पर आधारित रही। भारत ने हिन्द महासागर के देशों के साथ- साथ सांस्कृतिक संबंधों को नवीनीकृत करने के लिए “प्रोजेक्ट मौसम” चलाया है। “सागरमाला” पहल के एक हिस्से के रूप में इसे और मजबूत किया जाएगा।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ टैरिफ युद्ध के चलते चीन में विकास दर में लगातार गिरावट आ रही है। इससे विनिर्माण इकाइयां हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के अन्य हिस्सों में स्थानांतरित हो रही हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया के वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश श्रमिकों की मजदूरी में आए अंतर का लाभ उठाने वाले देशों में पहले हैं। आने वाले वर्षों में भारत के लिए भी संभावनाएं हैं।

भारतीय वित्त मंत्री और चीनी वाइस प्रीमियर के बीच व्यापार और निवेश को देखने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। हमें इंतजार करना और देखना होगा कि भविष्य में यह मेल क्या रूप लेता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित श्रीकांत कोंडापल्ली के लेख पर आधारित। 14 अक्टूबर, 2019

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