टेक कंपनियों की बड़ी छंटनी को मैनेज करने के लिए सेवरेंस पे
To Download Click Here.

एआई के विस्तार के साथ ही टेक कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी को बढ़ा रही हैं। इसके लिए वे उन्हें सेवरेंज वे देती हैं। मुश्किल यह है कि कर्मचारियों की छंटनी बढ़ने के साथ ही सेवरेंस पे में भी जटिलताएं बढ़ती जा रही हैं। इस द्वंद से निकलने का क्या रास्ता हो सकता है, जो कंपनियों और कर्मचारियों के बीच संतुलन बनाकर रख सके?
सेवरेंस पे या पदमुक्ति वेतन –
यह एक तरह का मुआवजा है, जो नियोक्ता अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने पर देता है। इससे नौकरी जाने पर उन्हें वित्तीय सहायता मिल सके। यह एकमुश्त या किश्तों में हो सकता है। इसकी गणना कर्मचारी की नौकरी की अवधि, पद और कंपनी की नीति जैसे कारकों के आधार पर की जाती है। सामान्यतः भुगतान समाप्ति के दिन ही किया जाता है।
कर्मचारी और कंपनी पर प्रभाव –
एआई के साथ बहुत ज्यादा छंटनी की जगह अब आपसी सहमति वाला तरीका अपनाया जा रहा है। इसमें कर्मचारी को पहले ही सेवरेंस पे का ऑफर दे दिया जाता है। उम्मीद की जा रही है कि इस पद्धति से कंपनियां ज्यादा कर्मचारियों से मुक्ति पा सकती हैं। इससे कंपनी का खर्च शायद ज्यादा हो सकता है, लेकिन उसकी ब्रांड वैल्यू बनी रहेगी। मुकदमों की आशंका कम हो जाएगी।
दूसरी ओर, मौजूदा कर्मचारियों को निकालकर कंपनियां अपने ट्रेडिशनल नॉलेज बेस को खत्म कर देती हैं। इससे उन्हें जरूरी कौशल की कमी का सामना करना पड़ सकता है। एआई कौशल वाला टैलेंट महंगा होने की पूरी संभावना है। इसके साथ ही एआई पर ज्यादा भरोसा करने और कम डिलीवरी करने का भी रिस्क है। इससे पुराने रेवेन्यू स्ट्रीम (राजस्व प्रवाह) पर असर पड़ सकता है।
अच्छा तो यह है कि टेक इंडस्ट्री के बिजनेस मॉडल को रिएडजस्ट किया जाए, जिससे एआई के कारण हटाए गए कौशल के लिए रोजगार के अवसर बनें, और बाजार के लिए अनुकूल कौशल का नया सेट प्राप्त करने का स्कोप बने। तब तक सेवरेंस पे से काम चलाया जाना चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 9 अक्टूबर, 2025