बड़ी टैक कंपनियों पर नियंत्रण आवश्यक है

Afeias
17 Aug 2020
A+ A-

Date:17-08-20

To Download Click Here.

तकनीक के क्षेत्र में काम कर रही एप्पल , फेसबुक , गूगल और अमेजन जैसी विश्वस्तरीय कंपनियों के काम के तरीके की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। हाल ही में अमेरिकी सांसदों ने इन कंपनियों के कामकाज को लेकर एक लंबी चर्चा की है। उनकी इस कशमकश ने भारत सरकार को एक बार फिर इन टेक दिग्गजों के प्रति संदेहजनक रवैया अपनाने और भारतीय डेटा संरक्षण पर जल्द ही कोई कानून लाए जाने के लिए सचेत कर दिया है।

विश्व की लगभग सभी बड़ी टैक कंपनियों के व्यवसायों के लिए भारत , सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है। निवेशक और उद्यमी इस बात से सहमत हैं कि भारत को जहां अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने की आवश्यकता है , वहीं उसे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक स्पष्ट नियामक प्रणाली का निर्माण करना होगा ; एक ऐसी प्रणाली , जो स्थानीय व्यवसायों का पोषण करने के साथ-साथ विदेशी निवेशों के लिए आकर्षक हो।

भारत में तीन स्तरों पर नियमन और निरीक्षण होना चाहिए  –

  1. उपभोक्ता की निजता अक्षुण्ण रहे।
  1. उन कंपनियों को पहचानना , जो भारत में व्यापार के लिए पंजीकृत नहीं हैं।
  1. वे कंपनियां , जो कर नहीं देती।

नियमन और निरीक्षण की आवश्यकता क्यों है ?

  • डेटा-संरक्षण के लिए।
  • देशी टैक उद्यमी मानते हैं कि इस क्षेत्र की बड़ी-बड़ी वैश्विक कंपनियों को भारत मुफ्त में बहुत सुविधाएं दे रहा है। भारत में उनकी कंपनियां हम भारतीय चलाते हैं। संसाधनों के लिए वे भारत पर निर्भर करती हैं। लेकिन उनके उत्पाद का निर्णय और इससे संबंधित विकास इनके अपने देशों में होता है।
  • भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश करने वाली अन्य कंपनियां चाहती हैं कि प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों की बेहतर निगरानी हो , जिससे घरेलू उपक्रमों को सफल होने का मौका मिल सके। इस हेतु वे भारत में एक पैनल की मांग कर रही हैं।
  • भारत में कंपनियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मूल्य निर्धारण एल्गोरिदम को जांच के लिए खुला होना चाहिए।
  • विदेशी कंपनियां अगर भारत से कोई सामान लेती हैं , तो इसे आयात की तरह देखते हुए इस पर अलग कर लगाया जाना चाहिए।

बड़ी टैक कंपनियों के वर्चस्व को देखते हुए विदेशी निवेशकों का कहना है कि भारत को जवाबदेही , निजता और पारदर्शिता के लिए एक संतुलित रवैया अपनाना चाहिए। तकनीकी नवाचारों के संदर्भ में नीतिगत प्रारूप अक्सर पीछे रह जाते हैं। सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए , जिससे निवेशकों , नागरिकों और टैक कंपनियों के हितों की रक्षा हो सके।

अगले 20 वर्षों में आगे बढ़ने के लिए भारत को लगभग 100 अरब डॉलर के विदेशी निवेश की आवश्यकता है , जो वर्तमान में मात्र 49 अरब डॉलर है। दीर्घकालीक निवेशक चाहते हैं कि सरकार उन्हें नीतियों में स्थायीत्व , पारदर्शिता और विवाद निपटारे का भरोसा दे। सरकार विश्व की केवल बड़ी टैक कंपनियों पर निर्भर रहकर विकास कदापि नहीं कर सकती। अतः ऐसी नीतियों और नियामकों को लागू किया जाए , जो दिग्गज टैक कंपनियों को नियंत्रण में रखकर अन्य निवेशकों का भारत में रूझान बनाए रख सके।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित लेख पर आधारित। 1 अगस्त , 2020

Subscribe Our Newsletter