बड़ी टेक कंपनियों के प्रभुत्व पर एक चोट

Afeias
06 Nov 2020
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Date:06-11-20

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हाल ही में अमेरिकी न्याय विभाग ने गूगल के विरूद्ध अविश्वास का एक मामला दायर किया है। दरअसल, यदि हम पूरे विश्व के सर्च टैफिक को देखें, तो उसे 92% गूगल ने ही कैप्चर कर रखा है। कंपनी के आपरेटिंग सिस्टम, एप्स और एप्स डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम ने इस सर्च को अभेद्य बना रखा है। इस प्रकार विभिन्न व्यावसायिक कार्यक्षेत्रों में गूगल अपना वर्चस्व बढ़ाता रहता है। गूगल के विरूद्ध की गई इस न्यायिक अपील का बहुत लंबे समय से इंतजार था। यही कारण है कि इसे द्विदलीय समर्थन मिला है।

दायर अपील से जुड़े मुख्य बिंदु –

  • इस न्यायिक अपील से एमेजान, फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों के डेटा पर एकाधिकार के प्रभुत्व पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
  • बड़ी टेक कंपनियों के गैर-प्रतिस्पर्धी व्यवहार की समीक्षा की शुरूआत हो सकेगी।
  • गूगल, एमेजान, फेसबुक, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट का एक संयुक्त बाजार मूल्यांकन बताता है कि अमेरिका और चीन के अलावा बाकी सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं से इनकी आय अधिक है।
  • विभिन्न देशों की चिंता यह थी कि टेक कंपनियों के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने पर अमेरिका से शत्रुतापूर्ण व्यवहार मिल सकता है। परंतु अगर विनियमन की यह पटकथा अमेरिका में ही लिखी जाए, तो अन्य न्यायालयों में इनसे संबंधित मामलों को आगे बढ़ाया जा सकता है।

दुनिया के धन और सत्ता को मुट्ठी भर कंपनियों को नहीं सौंपा जा सकता। यह सत्य है कि बड़ी टेक कंपनियों ने आधुनिक समाज में अनगिनत विकास को सफल बनाया है। लेकिन इन सबमें एक संतुलन की जरूरत है, ताकि नए नवाचार और उद्यम अपनी शुरूआत में ही न घुट जाएं।

भारतीय स्टार्टअप्स के लिए गूगल का प्रभुत्व पूरे टेक जगत से लेकर प्ले स्टोर तक पहुंच गया है। अमेरिका में गूगल पर जो भी निर्णय आये, भारतीय नियामकों को अंकुश लगाने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने पर काम करना चाहिए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 23 अक्टूबर, 2020

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