स्मार्ट सरकार की जरूरत

Afeias
14 Jun 2021
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Date:14-06-21

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पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार ने कई आकर्षक योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं। इनमें ‘स्मार्ट सिटी’ योजना भी शामिल है। महामारी की आपातकालीन स्थितियों में स्मार्ट सिटी मिशन के 100 शहरों को तकनीक की दृष्टि से श्रेष्ठ बनाने की योजना का सच सामने दिखाई दे रहा है। इसका एक उदाहरण पणजी, गोवा में स्वास्थ्य सेवाओं के धराशायी होने में देखा जा सकता है। आगे आने वाली अनेक चुनौतियों को देखते हुए हम इस प्रकार के स्मार्ट शहरों के साथ स्मार्ट सरकार की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ? स्मार्ट सरकार या प्रशासन के लिए कुछ बिंदुओं का होना अत्यंत आवश्यक है –

  • स्मार्ट सरकार या प्रशासन का अर्थ अल्पतर ढांचे से है; ऐसी सरकार, जिसमें नौकरशाही और लाल फीताशाही का उलझा हुआ जाल न हो। यह सीमित हो, क्षमतावाल हो, जिम्मेदार और जवाबदेह हो।
  • स्मार्ट सरकार के लिए विशेषज्ञों के नेतृत्व की आवश्यकता होती है। वर्तमान महामारी के मद्देनजर केंद्र या राज्य सरकारों ने कोई भी ऐसा स्वतंत्र निकाय बनाने का प्रयत्न नहीं किया, जिसमें इससे जुड़े विशेषज्ञ हों, और राजनीतिक हस्तक्षेप से परे वे बेहतर निर्णय ले सकें।
  • केंद्रीकरण और समय पर सुविधाएं देना भी स्मार्ट सरकार की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। केंद्र सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह विकेंद्रीकरण के साथ ही राज्यों की जरूरत पर उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराए।
  • आपातकालीन निर्णयों को राजनीतिकरण की अति से बचाया जाना चाहिए। केंद्र और राज्यों के बीच चलने वाले मतभेदों की अति के परिणाम अच्छे नहीं हो सकते। दिल्ली और पश्चिम बंगाल से केंद्र के कटु संबंधों के कारण सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर प्रभाव पड़ता देखा जा सकता है।
  • स्मार्ट सरकार को अधीनस्थ सरकारों, अधिकारियों और नागरिकों से निरंतर और भौतिक स्तर पर संपर्क साधने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। इससे जनता में भय और आशंका का संचार नहीं होता, तथा स्थिति नियंत्रण में बनी रहती है।

एक स्मार्ट सरकार से विनम्रता की अपेक्षा रखी जाती है। यह नागरिकों के जीवन और आजीविका को प्राथमिकता देने वाली होनी चाहिए, जो साक्ष्यों के आधार पर, हर स्तर पर नागरिकों की सहभागिता से काम करे।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित सागरिका घोष के लेख पर आधारित। 20 मई, 2021

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