रोजगार के अवसर

Afeias
04 May 2024
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अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन तथा मानव विकास संसाधन ने मिलकर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सन् 2000 के बाद से भारत में रोजगार के उपलब्ध आंकड़ों का व्यापक विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट की विषयवस्तु है संगठित क्षेत्र में वास्तविक पारिश्रमिक में ठहराव, कृषि रोजगार की ओर वापसी और महिला श्रम भागीदारी दर, जो पहले से ही गिर रही थी। लेकिन हाल के दिनों में उसमें सुधार हुआ, जिसका प्रमुख कारण स्वरोजगार और बिना मेहनताने का घरेलू कामकाज है। जबकि इस बीच बड़ी तादाद में शिक्षित युवा बेरोजगार हैं।

यह रिपोर्ट पाँच प्राथमिकताओं को चिन्हित करती है –

1) उत्पादन और वृद्धि को और अधिक रोजगार आधारित बनाया जाना चाहिए।

2) रोजगार की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए और इसके लिए प्रवासन और नए दौर के क्षेत्रों; जैसे- केयर इकोनॉमी में निवेश करना होगा तथा श्रम अधिकार सुनिश्चित करने होंगे।

3) श्रम बाजार की असमानताएँ; जो महिलाओं, युवाओं और हाशिये पर मौजूद समूहों के लोगों को प्रभावित करती है, उनके लिए नीतियाँ तैयार करना।

4) कौशल प्रशिक्षण और सक्रिय श्रम बाजार नीतियों को बढ़ावा देना। तथा

5) रोजगार को लेकर बेहतर और अधिक आंकड़ों का होना।

आगे की राह –

यह स्पष्ट है कि महिलाओं के घर या कृषि से बाहर रोजगार बढ़ा पाने में कमी कई बार सांस्कृतिक कारणों से भी पैदा होती है अन्य मामलों में ऐसा अनुकूल माहौल तथा कानून व्यवस्था से जुड़ी चिंताओं की वजह से भी है। इसके लिए बहुत बड़े पैमाने पर सामाजिक सुधारों की आवश्यकता है।

उत्पादन को अधिक रोजगारपरक बनाने की आवश्यकता है। भारत के भविष्य की वृद्धि सेवा क्षेत्र पर निर्भर होगी। इसमें भी नीतियों की आवश्यकता है।

तेज तकनीकी विकास और उभरती विश्व व्यवस्था को देखते हुए वृद्धि और रोजगार निर्माण के मानक तौर तरीके शायद भविष्य में काम न आएं। ऐसे में यदि भविष्य की बात करें, तो भारत को हर अवसर का पूरा लाभ उठाते हुए अधिकतम रोजगार सृजन करने की तैयारी रखनी होगी।

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