रोजगार की वास्तविक स्थिति

Afeias
26 Apr 2018
A+ A-

Date:26-04-18

To Download Click Here.

देश में बेरोजगारी की समस्या बहुत समय से चली आ रही है। वर्तमान सरकार ने अनेक क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा दिया है। इन विकास कार्यों ने रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि की है। अनेक सरकारी योजनाओं के माध्यम से अनेक बेरोजगार स्वउद्यमी बनने की क्षमता रखने लगे हैं। रोजगार के आंकड़ों के आधार पर नीति आयोग कार्यबल का डाटा, रोजगार के लिए उपलब्ध मौजूदा डाटा में दिखाई गई कमियों का आधिकारिकक अनुमान प्रस्तुत करता है। नीति आयोग के सितम्बर के त्रैमासिक रोजगार सर्वेक्षण में ही सही स्थिति का पता लग सकता है।

आज पूरे विश्व के रोजगार पैटर्न में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। लोग औपचारिक और दीर्घकालिक रोजगार अपनाने की जगह तरल और अल्पकालिक रोजगार लेने को तत्पर हैं। अब रोजगार के लिए विषय से संबंद्ध व्यापक ज्ञान, लगातार सीखने की इच्छा और कौशल विकास को अधिक महत्व दिया जा रहा है। भारत में भी इस प्रकार के रोजगार को महत्व दिया जा रहा है।

  • वर्तमान भारत में रोजगार के अवसरों का पैटर्न बदलने और उनकी मात्रा में वृद्धि करने में निजी क्षेत्र की बहुत बड़ी भूमिका है। जनवरी 2018 की नासकॉम की रिपोर्ट चार मूल क्षेत्रों- आॅटोमोटिव, आई टी-बी पी एम, खुदरा और कपड़ा में 1.4 करोड़ रोजगार के अवसर बढ़ने की पुष्टि करती है। इसमें से केवल एक खुदरा क्षेत्र में ही 65 लाख नए अवसर आए हैं।
  • के पी एम जी ने ट्रेवल एण्ड टूरिज्म में प्रतिवर्ष 16 प्रतिशत की वृद्धि होने और प्रतिवर्ष 30-40 लाख रोजगार के नए अवसर बढ़ने की समीक्षा की है।
  • ई-कॉमर्स, विमानन, मोबिलिटी सेवाएं, कृषि-प्रसंस्करण आदि नए उद्योगों में रोजगार के अवसरों का डाटा रिकार्ड नहीं किया जाता है।
  • बुनियादी ढांचे के बढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र में भी रोजगार के अवसरों में बहुत वृद्धि होती है। सड़क से लेकर रेल तथा ग्रामीण विद्युतीकरण से लेकर डिजीटल संपर्क तक लगातार काम चल रहा है। इन क्षेत्रों में लगभग दोगुने रोजगार दिए गए हैं।
  • यदि व्यक्तिगत क्षेत्र को देखें (जिसे हम सेल्फ एम्प्लॉयड कहते हैं), तो इसमें रोजगार के अवसर सबसे ज्यादा बढ़े हैं। विश्व बैंक की “ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस“ सूची में भारत का स्थान लगातार ऊपर उठना ही इस बात का प्रमाण है कि स्व-उद्यमिता का भारत में कितना विकास हो रहा है।

सरकार की मुदा्र योजना से लोगों को ऋण उपलब्ध करवाया गया है। इसमें महिला उद्यमी हैं। ऋण प्राप्त करने वालों में दर्जी, किराना, ब्यूटी पार्लर आदि उद्यमों के द्वारा अपने साथ-साथ और लोगों को भी रोजगार दिया गया है।

सरकार की विमुद्रीकरण और जीएसटी योजना के द्वारा अधिक से अधिक रोजगार को औपचारिक क्षेत्र में लाया जा सका है। डिजीटल भुगतान के बढ़ने के साथ ही कर्मचारी का वेतन बैंक में आने लगा है। उसे भविष्य निधि के अलावा अन्य लाभ भी मिलने लगे हैं। ई पी एफ ओ (एम्प्लॉईस प्रॉविडेंट फंड आर्गेनाइजेशन) की समीक्षा से पता चलता है कि प्रतिवर्ष 70 लाख रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए जा रहे हैं।

रोजगार के क्षेत्र की समीक्षा करने वाले अलग-अलग स्रोत बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार के अनेक अवसर बढ़ाए जा रहे हैं। नीति आयोग की त्रैमासिक रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हो सकेगी।

द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में जयंत सिन्हा के लेख पर आधारित।

Subscribe Our Newsletter