कृषि-विधेयक
Date:07-10-20 To Download Click Here.
हाल ही में सरकार ने किसानों की स्थिति को सुधारने की दिशा में तीन विधेयकों को पारित किया है। इनमें कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सुविधा विधेयक 2020, कृषि सशक्तिकरण एवं संरक्षण कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 एवं आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 हैं।
विधेयकों की आवश्यकता क्यों ?
- 1991 में हुए, आर्थिक सुधारों के दौर में देश का कृषक क्षेत्र अलग छूट गया था। इसका पूरा नियमन कृषि उपज विपणन समिति के द्वारा ही किया जा रहा था। इस कानून में किसान अपनी उपज मंडियों के माध्यम से ही बेच सकते थे। धीरे-धीरे इन मंडियों का स्वरूप बदलता गया। आढ़तियों की मनमानी चलने लगी। मूल्यों में पारदर्शिता खत्म हो गई।
- 1991 से आगे बढ़ते हुए भारत की कृषि संबंधी स्थिति बदलती गई। हमारा देश खाद्यान्न की अतिरिक्त उपज का केंद्र बन गया। इसे देखते हुए स्थानीय मंडियों को प्रतिस्पर्धी बनाना आवश्यक हो गया था। किसानों को उपज बेचने के लिए कई थोक और खुदरा विक्रेताओं तक पहुँच बनानी थी।
- अनुबंध कृषि को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जोड़ने की नितांत आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
- आवश्यक वस्तु कानून में कोल्ड चेन में निवेश को बाधित किया जा रहा था।
विधेयकों से लाभ –
- किसान, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों से सीधे समझौता करके प्रसंस्करित होने योग्य किस्मों का उत्पादन कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अच्छी कीमत मिल सकेगी।
- वे अपने मनचाहे स्थान और खरीदार को उपज बेच सकेंगे।
- कृषि सेवा प्रदाताओं से सीधे समझौता कर सकेंगे। कृषि को सेवा के रूप में उपलब्ध कराने के लिए अनेक स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं, जो एआई की मदद से उपज की परख करके उसका सही मूल्य आंकने में किसानों की मदद करते हैं।
कृषि क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने से सुधारों को गति मिलने की पूरी उम्मीद है।
- कृषि क्षेत्र में लाए गए इन विधेयकों का सीधा संबंध विनिर्माण को बढ़ावा देने से है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं, असंख्य श्रम कानूनों को चार कोडो में समेटने का प्रयास, ईज ऑफ डुईंग बिजनेस और विदेशी निवेश को आकर्षित करने का प्रधान लक्ष्य विनिर्माण को बढ़ावा देना है। इससे गैर-कृषि रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और कृषकों की आय के साधन बढ़ेंगे।
- विधेयकों के माध्यम से विपणन में सुधार की प्रक्रिया को ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास से पूरा किया जा सकेगा।
किसान उत्पादक कंपनियों/संगठनों के माध्यम से किसानों को संगठित किया जा रहा है, जिससे उनकी सौदेबाजी की शक्ति बढ़ेगी।
भारत दूध का सबसे बड़ा और अनाज, फल, सब्जी एवं मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। फिर भी वैश्विक खाद्य निर्यात बाजार में हमारा योगदान मात्र 2.3% है। किसानों के लिए लाए गए नए कानूनों से इस क्षेत्र में हम बाजी मार सकते हैं। देश का 50 करोड़ से अधिक कार्यबल इन सुधारों से लाभान्वित हो सकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अमिताभ कांत के लेख पर आधारित। 22 सितम्बर, 2020