भारतीय यूनीकॉर्न से जुड़े कुछ तथ्य

Afeias
03 Dec 2021
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  • भारत में 50,000 से अधिक स्टार्ट अप हैं। इनमें से मात्र 72 ही एक अरब डॉलर के यूनीकॉर्न क्लब में पहुँच सके हैं। वैश्विक संख्या को देखते हुए यह उनका 8-9% ही है।
  • भारतीय यूनीकॉर्न के 168 अरब डॉलर के बिजनेस को देखते हुए अमेरिका और चीन के बाद यह तीसरे नंबर पर आ गया है।
  • हाल ही में नायिका कंपनी ने अपने इश्यू मूल्य पर 96% लाभ कमाया है। पॉलिसी बाजार और पेटीएम जैसे कई यूनिकॉर्न भी अपनी पूंजी बढ़ाने में लगे हुए हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि डिजिट, इंफ्रा, मार्केट, गपशप, शेयर-चैट जैसे भारतीय यूनिकॉर्न ने 2021 में यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने के दो से छह माह के भीतर ही निजी निवेशकों से फॉलो-ऑन फाइनेंसिंस हासिल कर ली। इसे यूनिकॉर्न की पिछली पीढ़ी के बिल्कुल विपरीत कहा जा सकता है।
  • तरलता में आए इस असाधारण उछाल का कारण, निवेशकों का डर है कि कहीं स्टार्ट अप बैठ न जाएं। इसलिए आजकल निवेशकों ने प्रोबैबिलिटी टेस्ट करना भी छोड़ दिया है या कम कर दिया है।

निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी वेन्चर को तेजी से फैलाव देना खतरनाक हो सकता है, अगर वह लाभ प्रदान न कर पाए।

यहाँ दो प्रश्न खड़े हो सकते हैं। (1) यूनिकॉन की संख्या किस हद तक उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का संकेतक है (2) क्या यूनिकॉर्न पर हमारा अधिक ध्यान देना और निवेश करना निवेशकों की पूंजी को ठोस उद्यमशील उपक्रमों से दूर कर रहा है ?

यूनिकॉर्न निश्चित रूप से उत्साह पैदा करते हैं, और अधिक उद्यमियों व निवेशकों (विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों) को आकर्षित भी करते हैं। ये नए प्रयोगों और व्यावसायिक विचारों को आजमाने के लिए आगे आते हैं। फिर भी हमें यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि एक समाज को अलग-अलग प्रकार के व्यवसायों की आवश्यकता होती है। जोमैटो और एयर बीएनबी के साथ ही भारत को स्वास्थ सेवा को सुलभ और वहनीय बनाने वाले नवोन्मेषी स्टार्ट-अप की बहुत जरूरत है। होमकेयर, स्टाफिंग या किडनी डायलिसिस चेन जैसे उपक्रमों की जरूरत है। लेकिन इनका समय काफी दूर लगता है। हम आशा करते हैं कि भारत में यूनिकॉर्न की बढ़ती संख्या में ऐसे उपक्रमों से पूंजी और ध्यान को नहीं हटाया जाएगा। जो स्केलेबल नहीं हो सकते हैं। लेकिन यूनिकॉर्न पारिस्थितिकी में समान अवसर के योग्य हैं।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित मुनीर शेख और रामकृष्ण वेलामुरी के लेख पर आधारित। 11 नवम्बर, 2021

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