भारत में आत्महत्या से जुड़े कुछ तथ्य

Afeias
26 Feb 2019
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Date:26-02-19

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  • विश्व के अधिकांश देशों में जहाँ उम्रदराज लोगों में आत्महत्या के मामले अधिक मिलते हैं, वहीं भारत के युवाओं में ऐसी प्रवृत्ति अधिक है। 15-29 वर्ष की आयु में होने वाली आत्महत्याओं का औसत, देश की कुल आत्महत्याओं के औसत से तीन गुना अधिक है। इसके कारण पूरे विश्व की तुलना में भारत के युवाओं में आत्महत्या के सबसे अधिक मामले मिलते हैं।
  • युवाओं के बीच भी महिलाओं में आत्महत्या का प्रतिशत अधिक है। जबकि पूरे विश्व में पुरुषों की आत्महत्या के अधिक मामले मिलते हैं। महिलाओं के बीच यह विवाहिताओं में अधिक देखने को मिलता है।
  • भारतीय विवाहिताओं में आत्महत्या की दर अधिक होने के पीछे ससुराल वालों और पति द्वारा किया जाने वाला मनोवैज्ञानिक और शारीरिक अत्याचार मुख्य है।
  • उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में लिंगभेद अपेक्षाकृत कम है। फिर भी वहां युवा महिलाओं की आत्महत्या की दर उत्तर भारत की अपेक्षा अधिक है।
  • भारत में आत्महत्याओं का दूसरा मुख्य कारण आर्थिक संकट माना जाता है। किसानों में होने वाली आत्महत्याओं की खबरें आए दिन सुनाई देती रहती हैं। वास्तव में, गैर कृषि-कर्म करने वालों में आत्महत्या के मामले अधिक होते हैं। अतः हाल ही में किए गए अध्ययनों में निर्धनता को आत्महत्या का बहुत बड़ा कारण नहीं माना गया है।

शिक्षित और सम्पन्न लोगों में आत्महत्या के अधिक मामले देखने में आते हैं।

जापान जैसे सम्पन्न देश में प्रति लाख व्यक्तियों पर होने वाली 20 आत्महत्याओं की संख्या सर्वाधिक है। इसके बाद स्विटज़रलैण्ड का नंबर आता है। भारत में यह प्रति लाख व्यक्तियों पर 11 है।

दक्षिण भारत में धनी व सम्पन्न राज्यों में आत्महत्याओं की संख्या, उत्तर भारत के गरीब राज्यों की तुलना में 10 गुना अधिक है।

अपने आर्थिक स्तर में गिरावट को बर्दाश्त न कर पाना आत्महत्या का एक बड़ा कारण माना जा सकता है।

  • सन् 1994 से लेकर अब तक, आत्महत्याओं में कमी दर्ज की जा रही है। इस प्रयास में चीन ने बाजी मार ली है। 1990 के मध्य के दौर में चीन की युवा महिलाओं में भी आत्म्हत्या की दर बहुत अधिक थी, जिसे 90 प्रतिशत कम कर लिया गया है। इसमें बढ़ते शहरीकरण ने अहम् भूमिका निभाई है। इससे महिलाओं के लिए काम करने और स्वतंत्र रूप से रहने के अवसर बढ़ गए हैं।
  • आत्महत्या के साधनों को सीमित और प्रतिबंधित करके भी इसे कम किया जा सकता है। ब्रिटेन में पेनकिलर के पैकेट को बोतल की जगह ब्लिस्टर पैकेट में बदलने से ही आत्महत्या की दर 44 प्रतिशत कम हो गई।

आस्ट्रेलिया में बंदूकों और रशिया में शराब को सीमित करके आत्महत्या दर को कम किया गया।

भारत में आत्महत्या करने के लिए अक्सर कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। भारत के अनेक हिस्सों, अधिकतर ग्रामों में, इनकी उपलब्धता को सीमित करके दर को कम किया जा सकता है।

  • विश्व के अनेक भागों में मानसिक बीमारियों को जल्दी पहचानकर समय पर उनका ईलाज करके भी आत्महत्या की दर को कम किया गया है।

अवसाद रोधी दवाओं के इस्तेमाल, मनोचिकित्सक की मदद, हमराज होने और प्रेम व करूणा से आत्महत्याओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है। आत्महत्याओं को रोकना एक सामाजिक प्रयास होना चाहिए। इसके लिए धन की अपेक्षा प्रेम एवं करूणा से लिप्त स्वयंसेवकों की अधिक आवश्यकता है। इसके लिए सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं होते। हमारे देश में भी किसानों की आत्महत्या को देखते हुए सरकार द्वारा की जाने वाली ऋण माफी की घोषणा क्या इनमें कमी ला पा रही है ?

अतः आत्महत्याओं को रोकने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है।

द टाइम्स ऑफ इंडियामें प्रकाशित नीरज कौशल के लेख पर आधारित। 7 फरवरी 2019

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