भारतीय न्याय व्यवस्था से जुड़े कुछ नवीनतम तथ्य

Afeias
01 May 2023
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  • हाल ही में भारतीय न्याय व्यवस्था से जुड़ी रिपोर्ट आई है। 2022 पर आधारित इस रिपोर्ट में 102 संकेतकों को शामिल किया गया है।
  • इस रिपोर्ट को पुलिस, न्यायपालिका, जेलों और कानूनी सहायता प्रदान करने में राज्यों की क्षमता के आधार पर बनाया गया है।
  • इंडियन जस्टिस रिपोर्ट, 2022 के नाम से जारी की गई इस रिपोर्ट में कर्नाटक की रैंकिंग सबसे ऊपर है। यही नहीं, शीर्ष छह स्थानों में से पांच पर दक्षिण भारतीय राज्य हैं।
  • पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने इसकी प्रस्तावना लिखी है। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि भारत संतोषजनक ढंग से न्याय देने में काफी पीछे है। रिपोर्ट के आंकड़े, उनकी आशंका की पुष्टि करते हैं।
  • उदाहरण के लिए भारत की जेलों में 77% कैदी विचाराधीन हैं। वे पहले के मुकाबले औसतन ज्यादा समय जेल में बिता रहे हैं।
  • दिसंबर 2017 और दिसंबर 2021 के बीच जेल में पांच साल से अधिक की सजा काट रहे विचाराधीन कैदियों की संख्या दोगुनी से अधिक बढ़ गई है।
  • रिपोर्ट यह भी बताती है कि 5 करोड़ लंबित मामले हैं। इसका कारण इनके समाधान में देरी का होना हैं।
  • आपराधिक मामलों में 70% वादी गरीबी रेखा के नीचे हैं।
  • 2020 और 2022 के बीच, कानूनी सेवा प्रदान करने वाली एजेंसियों में 67% की गिरावट आई है।

इस रिपोर्ट का महत्वपूर्ण संदेश यह है कि छोटे लेकिन लगातार सुधारों से न्याय व्यवस्था की स्थिति को बहुत बदला जा सकता है। इस पक्ष पर ध्यान देने की जरूरत है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 6 अप्रैल, 2023

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