बेहतर शहरीकरण के लिए पांच मंत्र
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भारत में अगले कुछ दशकों में शहरीकरण विकास का सबसे बड़ा कारक होगा। भारत की शहरी व्यवस्था पहले से ही दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी है। भारतीय शहरों में कुल वैश्विक शहरी जनसंख्या का 11% रह रहा है। यह अमेरिका, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन की शहरी आबादी से अधिक है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार भारत के शहरों की आबादी 2050 तक और बढ़ने की संभावना है। इस हेतु सतत् शहरीकरण के लिए कई कार्यों का प्रस्ताव दिया गया है। इन कार्यों में महत्वपूर्ण है –
- शहरीकरण के प्रबंधन के लिए मास्टर प्लान जरूरी है। शहरों में वैधानिक या सांविधिक और जनगणना-शहरों की अलग-अलग श्रेणी है। भारत में दोनों के अधीन कुल 7933 स्थान ऐसी श्रेणी में आते हैं। इनमें 3892 स्थान ऐसे हैं, जिन्हें 2011 की जनगणना में शहर तो मान लिया गया, परंतु इनका प्रशासन गांवों की तरह ही चल रहा है। यहाँ शहरी निकाय नहीं हैं। इसके अलावा, आधे से अधिक वैधानिक शहर भी बेतरतीब तरीके से फैल रहे हैं। इनके लिए वैज्ञानिक मास्टर प्लान बनाए जाने की जरूरत है।
- शहरों को ट्रांजिट सिस्टम के आधार पर विकसित किया जाना चाहिए। तीव्र पारगमन नेटवर्क के माध्यम से विकास में कारों की संख्या कम हो जाती है। पैदल और साइकिल को प्रोत्साहन मिलता है। कॉम्पैक्ट और ऊर्ध्वाधर विकास के माध्यम से लोगों और कार्यालयों की नजदीकी बढ़ती है। इससे उत्पादकता बढ़ती है।
- हमारे शहरों को सिंगापुर की तर्ज पर अधिकतम फ्लोर इंडेक्स के आधार पर विकसित होना चाहिए। इससे आर्थिक उत्पादकता बढती है। ट्रांजैक्शन लागत भी कम होती है। सिंगापुर में अधिकतम फ्लोर इंडैक्स 25 है, जबकि मुंबई में यह 1.33 है। इसे बढ़ाकर हम गांव से पलायन कर नगर पहुंचे लोगों को आधारभूत सुविधांए दे सकते हैं।
- शहरों में पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसमें उपयोग किए गए पानी को इकट्ठा करने, उपचार करने और पुनः उपयोग करने की आवश्यकता है। इस हेतु जल-निकासी और सीवरेज सिस्टम को पूरी तरह से अलग-अलग बनाने की जरूरत है। पानी के मूल्य निर्धारण के लिए व्यावहारिक नीति बनाकर शुल्क लिया जाना चाहिए।
- शहरी प्रशासन को अधिक मजबूत करने की जरूरत है। शहरी प्रबंधन के लिए पेशेवरों का एक समूह बनाकर, हल्के-फुल्के नियमों का पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा सकता है। भवन उपनियमों में सुधार करने के लिए भू-स्थानिक तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता है।
इसके अलावा, राज्यों को चाहिए कि वे अपने शहरों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता और प्रशासनिक स्वतंत्रता प्रदान करें।
सफल शहर ही एक सफल राष्ट्र का आधार होते हैं। यह भारतीय राज्यों के लिए चुनौती है कि वे शहरीकरण को विकास, रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन के साधन के रूप में इस्तेमाल करें।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अमिताभ कांत के लेख पर आधारित। 27 अप्रैल, 2022