भारत के शहरीकरण के लिए परीक्षा का समय आ गया है

Afeias
15 Nov 2016
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urbanisation-in-india-1-638Date: 15-11-16

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इक्वाडोर के क्वीटो में हाल ही में सम्पन्न हुए आवास एवं धारणीय विकास संबंधी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में दो महत्वपूर्ण समस्याओं पर चर्चा हुई। विश्व में तेजी से होते शहरीकरण और इन शहरों में सभी को समान अवसर उपलब्ध कराना ही इस सम्मेलन में चर्चा का मुख्य विषय रहे।

  • सम्मेलन के मुख्य बिन्दु
    • इस सम्मेलन में सदस्य देशों को आवासीय पक्ष पर अगले बीस वर्षों तक के लिए दिशा निर्देश दिए गए। इसमें सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामाजिक भागीदारी को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया।
    • शहरों में असमानता को कम करने, सभी को आवास एवं स्वच्छता का अधिकार देने, गतिशीलता, बच्चों, महिलाओं एवं दिव्यांग वयस्कों के अधिकारों को पर्याप्त सुरक्षा देने जैसे पिछले दो सम्मेलनों के मुद्दों पर सदस्य देशों को अपनी गति बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
    • साथ ही शहरों में सेवा क्षेत्र की अहमियत को पहचानते हुए उच्च वेतन प्राप्त पेशेवर एवं निम्न वेतन पाने वाले कर्मचारियों के बीच की खाई को भी कम करने की जरूरत को महसूस किया गया।
  • भारतको क्या करना होगा?
    • 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 31 प्रतिशत जनता शहरों में निवास करती है। काम करने वाले 26 प्रतिशत लोग भी शहरों में रहते हैं। साथ ही प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में लोग नगरों की ओर पलायान करते हैं। नगरों के प्रशासन को केन्द्रीय प्रशासन के साथ एकरूप करके पेरिस समझौते में तय सीमा तक कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य रखना होगा, तभी धारणीय विकास प्प् का लक्ष्य हम प्राप्त कर पाएंगे।
    • हाँलाकि भारत द्वारा उच्च वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता से लैस शहरीकरण की योजना को अमली जामा पहनाया जा चुका है। ये योजनाएं स्मार्ट सिटी और अटल मिशन के रूप में कार्यान्वित भी की जाने लगी हैं। परन्तु इन योजनाओं के इक्कीसवीं सदी के शहरीकरण के निर्धारित पैमाने पर खरा उतरने में अभी संदेह है। कारण यही है कि हमारे पास न तो पर्याप्त उद्यान हैं और न ही सार्वजनिक स्थान। नियमित श्रमिकों के रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे कम कीमत वाले निवासों का बहुत अभाव है, जो पलायन किए हुए लोगों को स्वच्छ वातावरण में रहने के लिए उपलब्ध कराए जा सकें।
    • भारत के आवास मंत्रालय ने निजी एजेंसियों की मदद से कम कीमत, आपदा-सुरक्षित, सभी के लिए आवास की एक राष्ट्रीय रिपोर्ट क्वीटो सम्मेलन में प्रस्तुत की है। अब समय है कि इस राष्ट्रीय योजना रिपोर्ट का कार्यान्वयन पूरे जोश के साथ पूरे देश में किया जाए। समय-समय पर इसका जायजा लेते हुए राज्यों को उनके कार्य के आधार पर पदांकित भी किया जाए।
    • केन्द्र को अब चाहिए कि बड़े शहरों को रोज-रोज के ट्रेफिक जाम से निजात दिलाने के लिए राष्ट्रीय परिवहन नीति को व्यवहार में लाए। इससे विकासशील नगरों को विकसित करके पलायन कर रही जनता के कुछ भाग को इन नगरों में भी खींचा जा सकेगा। इससे कुछ बड़े शहरों पर आने वाला भार कम होगा।

संयुक्त राष्ट्र कीआवास नीति का आकलन 2018 में क्वालालम्पुर में किया जाएगा। इस दौरान भारत को अपने प्रदर्शन में काफी सुधार करना होगा। इस बीच में विश्व की नजरें भार के शहरीकरण की योजनाओं पर टिकी रहेंगी।

हिंदू के संपादकीय पर आधारित।

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