बढ़ते शहरीकरण में स्थानीय निकायों की भूमिका

Afeias
23 Oct 2018
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Date:23-10-18

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हमारा देश, शहरीकरण के ऐसे व्यापक एवं महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की ओर अग्रसर हो रहा है, जिसका विश्व में कोई सानी नहीं होगा। ऐसा अनुमान है कि 2030 तक भारत की 40 प्रतिशत आबादी शहरों में ही रहने लगेगी। इस चुनौती का सामना करने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 4 लाख करोड़ रुपये से पाँच कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट सिटी मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एण्ड अर्बन ट्रांसफार्मेमेशन (ए एम आर यू टी) और हेरीटेज सिटी डवलपमेंट एण्ड ऑग्मेंटेशन योजना ही वे पाँच कार्यक्रम हैं, जिनकी सफलता के लिए शहरी निकायों की निधि में तीन गुणा की बढ़ोत्तरी की गई है।

नियोजित शहरीकरण के प्रयास में चलाए जा रहे इन पाँच कार्यक्रमों के लिए सरकारी निधि पर्याप्त नहीं होगी। अतः शहरी निकायों ने म्यूनिसिपल बांड तथा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप आदि के जरिए आर्थिक साधन जुटाने का प्रयत्न प्रारंभ कर दिया है। कुछ और भी ऐसे तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर इन कार्यक्रमों की गति को तेज किया जा सकता है।

  • अमृत योजना में आने वाले एक लाख से ऊपर की आबादी के 500 शहरों को अपने राजस्व के साधन जुटाने के प्रयास तेज करने होंगे। इसके लिए राज्य सरकार एवं स्थानीय निकायों को अपने वित्तीय प्रबंधन को कुशल बनाना होगा। नगरों को अपनी भूमि और संपत्ति का सामर्थ्य इस प्रकार से बढ़ना होगा कि उससे प्राप्त आय को बुनियादी ढांचों के विकास में लगाया जा सके।
  • योजनाओं का निर्धारण और क्रियान्वयन इस प्रकार से हो कि निवेशकों का विश्वास उममें बने। स्मार्ट सिटी एवं अमृत योजना के अंतर्गत आने वाली विश्वसनीय एवं लाभकारी उप-योजनाओं की एक सूची तैयार करके, उन पर निवेशकों का ध्यान आकृष्ट करना चाहिए।
  • राज्यों को चाहिए कि वे नगरों के लिए वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन का एक ऐसा ढांचा तैयार करें, जिसमें शहरी निकायों द्वारा की गई वित्तीय रिर्पोटिंग पारदर्शी एवं उत्तरदायित्वपूर्ण हो। ऐसे पंचवर्षीय मध्यावधि वित्तीय कार्यक्रम बनाए जाने चाहिए, जिनमें पूंजी निवेश एवं राजस्व के स्रोतों पर ध्यान दिया जाए।
  • राज्यों को नगर स्तर पर प्रशासन को सुदृढ़ बनाने के लिए वित्त एवं इंजीनियरिंग जैसे कुछ विशेष विभागों के कार्य-बल को बेहतर बनाना चाहिए। खुले शब्दों में कहा जाए, तो बहुत ही आधुनिक ज्ञान रखने वाले कार्यबल की आवश्यकता होगी। इस कार्यबल में पद के अनुरूप कर्मचारियों एवं अधिकारियों के प्रदर्शन का समय-समय पर आकलन किया जाए।

आवास एवं शहरी मामलों का केन्द्रीय मंत्रालय, राज्यों एवं नगरों के लिए एक अनुकूल विकास तंत्र बनाने हेतु प्रतिबद्ध है। इसके लिए म्यूनिसिपल की वित्तीय सूचनाओं के प्रकाशन के लिए ऑनलाइन मार्केट तैयार करना, वित्त मंत्रालय से उनका संपर्क बनाए रखना, नियमन, म्यूनिसिपल उधारी बाजार के पैर जमाने एवं बढ़ाने में उसकी सहायता करना आदि ऐसे कुछ कदम हैं, जिन पर तीन से छः मास के बीच काफी प्रगति कर ली जाएगी।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित हरदीप सिंह पुरी के लेख पर आधारित। लेखक केन्द्रीय मंत्री हैं। 12 सितम्बर, 2018

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