आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से पहले सोचें

Afeias
05 Jan 2022
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विरोधों की अनदेखी करते हुए, केंद्र सरकार ने मतदाता सूची डेटा को आधार से जोड़ने के लिए संसद से एक विधेयक पारित कराने में सफलता प्राप्त कर ली है। ऊपर से देखने पर, विधेयक का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करके फर्जी मतदाताओं को बाहर निकालना लग सकता है, लेकिन इसके अन्य पहलू लोकतंत्र के लिए गंभीर निहित अर्थ रखते हैं।

पक्ष –

  • इस विधेयक से देश के अन्य भागों में पलायन करने वाले नागरिकों को अपने मताधिकार से वंचित नहीं होना पड़ेगा। दूरस्थ मतदान संभव हो सकेगा।
  • जैसा कि पहले भी बताया गया है कि फर्जी मतदाताओं को अलग किया जा सकेगा।
  • चार क्वालीफाईंग तिथियों में नामावलियों के पुनरीक्षण से उन लोगों के नामांकन में तेजी आ सकेगी, जो 18 वर्ष के हो गए हैं।

विपक्ष –

  • विपक्ष ने वैध मतदाताओं के मतदाता सूची से बाहर होने की आशंका जताई है।
  • गोपनीयता के संभावित उल्लंघन का खतरा है।
  • मतदाताओं की प्रोफाइलिंग के लिए जनसांख्यिकीय विवरण का दुरूपयोग होने की संभावना हो सकती है।
  • रिप्रेसेन्टेशन ऑफ पीपल एक्ट की नई धारा 23(6) के अनुसार जो लोग आधार नंबर नहीं दे सकते, वे अन्य दस्तावेज उपलब्ध करा सकते हैं। देश के करोड़ों गरीब ऐसे हैं, जिनके पास आधार नहीं है। उनके दस्तावेजों के विवरण से मतदाता पहचान पत्र के विवरण नहीं मिलते। उनका क्या होगा ?
  • सरकार ने इसे वैकल्पिक बताया है, परंतु संशोधन की धाराओं के अनुसार कभी भी इसे अनिवार्य किया जा सकता है।
  • ऐसी आशंका है कि यह राजनैतिक प्रोफाइलिंग के काम आएगा। इससे सरकार पता लगा सकेगी कि किस मतदाता ने कल्याणकारी सब्सिडी व अन्य सुविधाओं का लाभ उठाया। इससे सरकार उन सुविधाभोगी लोगों तक अपनी पहुंच बना सकेगी।

अंततः यह सवाल किया जाना चाहिए कि आधार परियोजना का उपयोग एक बार फिर से उन उद्देश्यों के लिए कैसे किया जा रहा है, जो कथित ‘कल्याण’ उद्देश्य से परे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व निर्णय में इसे परिचय के आधार तक सीमित रखने को कहा गया था।

वास्तव में, आधार डेटाबेस मतदाता पहचान को सत्यापित करने के लिए अप्रासंगिक हो सकता है, क्योंकि यह निवासियों का पहचानकर्ता है न कि नागरिकों का। अन्य विधेयकों की तरह ही इसे जल्दबाजी में केवल ध्वनिमत से पारित किया गया है।

उम्मीद की जा सकती है कि इस मुद्दे पर न्यायालय में जल्द सुनवाई हो सकेगी। लोकतंत्र की सफलता इस पर निर्भर हो सकती है।

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित।