आधार की शक्ति और उससे संबंधित मिथक

Afeias
26 May 2017
A+ A-

Date:26-05-17

To Download Click Here.

आज विश्व में डिजीटल पहचान कार्यक्रम के अंतर्गत आधार सबसे व्यापक कार्यक्रम है। इसने भारत के तकनीकी कौषल और नवोन्मेष का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। भारत ने इसे सुषासन और गरीबों एवं वंचितों के लिए विकसित किया है। विष्व के अन्य देषों में सुरक्षा तथा सीमा प्रबंधन आदि के लिए चलाए जाने वाले डिजीटल पहचान कार्यक्रमों से यह बिल्कुल अलग है।

सन् 2009 में इसकी शुरूआत यूपीए सरकार ने की थी। प्रारंभ में इसकी सफलता को लेकर बहुत सी अटकलें लगाई जा रही थीं। इसमें डाटा सुरक्षा एवं निजी सूचनाओं की सुरक्षा को लेकर भी बहुत से संदेह व्यक्त किए जा रहे थे। इन सबको ध्यान में रखते हुए ही सन् 2016 में एनडीए सरकार ने आधार विधेयक तैयार किया।

आज भारत की 99% जनता के पास आधार कार्ड है। सरकार ने इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पहल, मनरेगा, पेंषन, छात्रवृति आदि 100 कार्यक्रमों में इस्तेमाल करना प्रारंभ कर दिया है। इसके पीछे सरकार की मंषा यही है कि इन कार्यक्रमों से मिलने वाला लाभ सीधे जरुरतमंद तक पहुंचे। धीरे-धीरे अब इस तरह का फायदा देखने में भी आ रहा है। आधार के प्रयोग के कारण बिचौलियों का प्रणाली साफ होता जा रहा है। इस प्रकार मनरेगा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि कार्यक्रमों का गलत रूप से लाभ लेने वालों के हट जाने से लगभग 2) वर्षों में सरकार के 49,000 करोड़ रुपए बचा लिए गए। विष्व के प्रमुख अर्थषास्त्री पॉल रॉमर का तो यह कहना है कि पूरे विष्व में इसका व्यापक प्रयोग बहुत हितकारी होगा।आधार ने लगभग पाँच करोड़ लोगों को बैंक खाते खोलने में मदद की है। अब 43 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते आधार नंबर से जुडे़ होने के कारण उन्हें सरकारी सब्सिडी का लाभ सीधे खातों के माध्यम से मिल जाता है। आधार पर विकसित भुगतान प्रणाली के जरिए उन ग्रामों और दूरस्थ क्षेत्रों को भी बैंक सेवाओं का लाभ मिल रहा है, जहाँ बैंक या एटीएम नहीं हैं। जल्दी ही आधार में फिंगरप्रिंट के माध्यम से वे लोग भी कैषलेस भुगतान कर सकेंगे, जो डिजीटल ज्ञान नहीं रखते हैं।

आज आधार से जीवन प्रमाण, डिजीटल लॉकर, ई-साइन के द्वारा एनपीएस खाता, पैन कार्ड और पासपोर्ट को जोड़कर लोगों के जीवन को और भी सषक्त बनाया जा रहा है। इन सब उपलब्धियों के बावजूद आधार से जुड़ी हुई अनेक अफवाहें उड़ाई जा रही हैं।

  • पहली अफवाह यह है कि मिड डे मील, मनरेगा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है।
  • आधार विधेयक में यह बात स्पष्ट रूप से कही गई है कि आधार कार्ड के न होने पर किसी को भी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित नहीं किया जा सकता। आधार विधेयक के भाग 7 में यह स्पष्ट लिखा है कि अगर लाभार्थी के पास आधार नहीं है, तो उसे आधार कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। तब तक उसे अन्य पहचान पत्रों के आधार पर कार्यक्रम का लाभ दिया जाएगा।
  • यह भी कहा जा रहा है कि बुर्जुगों और श्रमिकों के फिंगर प्रिंट घिस जाने की वजह से मिल नहीं पाते, इसलिए उन्हें योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा रहा है।
  • आधार के लिए 10 ऊंगलियों, दो आँखों की पुतलियों में से किसी भी एक को पहचान का आधार बनाया जा सकता है। अगर इनमें से कोई भी नहीं मिल पाता है, तो विभाग को निर्देष दिए गए हैं कि वह पहचान के अन्य माध्यमों का सहारा लें।
  • ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है आधार के लिए एकत्रित सूचनाओं को निजी एवं सरकारी संस्थाएं जब चाहे अपने फायदे के लिए उपयोग में ला सकती हैं। आधार में दी गई सूचनाओं की सुरक्षा को लेकर भी भ्रम फैलाए जा रहे हैं।
  • आधार में निजता एवं सुरक्षा ही मुख्य तत्व हैं, जो इसे विषिष्ट बनाते हैं। सन् 2016 में लाया गया आधार विधेयक नागरिकों को कानूनी सुरक्षा भी प्रदान करता है। आधार के निर्माण में कम-से-कम जानकारी ली गई है। आधार विधेयक में किसी की जाति, धर्म, गोत्र, तथा चिकित्सकीय रिकार्ड पूछे जाने की मनाही है।

आधार विधेयक के भाग 29 में आधार में एकत्रित बायोमैट्रिक्स का प्रयोग आधार बनाने एवं उसके सत्यापन के अलावा किसी अन्य उद्देष्य के लिए किए जाने की मनाही है।अगर आधार कार्यक्रम में सुरक्षा की बात करें, तो यूआईडीएआई (UIDAI) विष्व की सबसे विकसित एनक्रिप्षन तकनीक का इस्तेमाल करके डाटा स्टोर कर रहा है। यही कारण है कि पिछले सात वर्षों में डाटा लीक का एक भी मामला सामने नहीं आया है।आधार पहचान का एक ऐसा सुरक्षित और उपयुक्त माध्यम है, जो 125 करोड़ भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के साथ-साथ उन्हें डिजीटल क्रांति की तरफ ले जाएगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया में रविषंकर प्रसाद के लेख पर आधारित। लेखक सूचना प्रौद्योगिकी एवं कानून मंत्री हैं।

Subscribe Our Newsletter