भारत में नवोन्मेष की क्षमता है।

Afeias
29 May 2017
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Date:29-05-17

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हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार एशिया में नवोन्मेष की दृष्टि से भारतीय स्थिति अनुकूलतम है। लेकिन भारतीय पेटेंट कार्यालय के अनुसार दर्ज किए गए पेटेंट में से 70% बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए हैं। बाकी का 30% भारतीय कंपनियों और अनुसंधान क्षेत्र से आता है। विश्व नवोन्मेष सूची में भारत का 66वां स्थान है। हम चीन से 41 स्थान पीछे हैं।विश्व बौद्धिक संपदा संस्थान के अनुसार 2015 में भारत ने कुल 1423 पेटेंट दर्ज किए, जो  अमेरिका, कोरिया, चीन आदि की तुलना में बहुत ही कम है। विश्व की 20 श्रेष्ठ नवोन्मेष कंपनियों में भारत की एकमात्र कंपनी एशियन पेंट्स 18वें स्थान पर है। ऊपर की 10 कंपनियां अमेरिका की हैं।

यहाँ तक की जो हमारे सफल स्टार्टअप बिज़नेस मॉडल हैं, वह भी विदेशी कंपनियों पर आधारित हैं। फ्लिपकार्ट अमेज़ान से और ओला ऊबर से पे्ररित है। हमारा अपना नवोन्मेष कहाँ है? अगर हम भारत को नवोन्मेष का मुख्य केंद्र बनाना चाहते हैं, तो हमें बौद्धिक संपदा अधिकार, नवोन्मेष और पेटेंट की स्थितियों में आमूलचूल परिवर्तन करने होंगे।

  • आज जब कई राष्ट्र आव्रजन संबंधी नीति में परिवर्तन कर रहे हैं, विदेशियों के आगमन पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, ऐसे समय में हमें विश्व की प्रतिभाओं को अपने देश में आमंत्रित कर उनका लाभ उठाना चाहिए। हमारी दुरूस्थ नीतियों और मजबूत ढांचे में वैश्विक प्रतिभाओं के साथ मिलकर भारतीय प्रतिभाएं बेहतर कर सकती हैं।
  • वर्तमान सरकार हमारे सदियों पुराने बौद्धिक संपदा कानून और पेटेंट नीतियों में परिवर्तन करके उसे आधुनिक बनाने में लगी है। इसी कड़ी में बौद्धिक संपदा नीति और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय का सॉफ्टवेयर पॉलिसी 2016 का मसौदा सराहनीय है।
  • सरकार ने कौशल विकास और उद्यम मंत्रालय की स्थापना, बौद्धिक संपदा सुविधा केंद्र मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत करके देसी कंपनियों के लिए नवोन्मेष के द्वार खोल दिए हैं।
  • हमारे देश में पेटेंट फाइल करने की प्रक्रिया जटिल है। इसके लिए हमें इज़राइल से सीखना चाहिए। वहाँ की नवोन्मेष नीति बहुत उदार है। वहाँ की देसी कंपनियों को ‘अनुमोदित उद्यमों‘ के नाम पर कर में 0-25% तक की छूट दी जाती है। दूसरे, इजराइल अलग-अलग देशों और क्षेत्रों से शोध एवं अनुसंधान में सहयोग लेता है, जिसे उसकी देसी कंपनियों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और अकादमिक संस्थानों के साथ मिलकर कार्यरूप में लाया जाता है।
  • चीन, पेटेंट शुल्क में उन लोगों के लिए 75-80% कमी कर देता है, जो इसको वहन नहीं कर सकते। इसके अलावा उसने ऐसे लोगों की मदद के लिए एक पेटेंट निधि बना रखी है, जिससे पेटेंट आवेदकों को नकद सब्सिडी मिल जाती है।
  • हमें उत्पाद और तकनीक केंद्रित देसी एवं विदेशी कंपनियों के लिए ऐसा पारिस्थितिकीय तंत्र तैयार करना होगा, जिससे वे शोध एवं अनुसंधान में निवेश कर सकें और उनका प्रचार भी कर सकें।
  • साथ ही हमें विश्व की प्रतिभाओं को अपने देश में नवोन्मेष के लिए खुला न्योता देना होगा। इस विभाग को सूचना-प्रौद्योगिकी और सूचना-प्रौद्योगिकी एनेब्लिंग सिस्टम से पृथक रखना होगा। उन्हें भारतीय नवोन्मेष के लिए भारत में ही पेटेंट दर्ज कराने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
  • हमारे देश में सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति को अधिक विस्तृत करने की आवश्यकता है। अब वह समय आ गया है, जब हम भारत को निवेश का केंद्र बनाने के साथ नवोन्मेष का केंद्र भी बनाएं। इससे हमारे उद्यमों को लाभ पहुँचेगा। उनमें बढ़ोतरी होगी।

हमारे स्टार्टअप बिज़नेस को वैश्विक उन्नत तकनीकों और तकनीकी क्षेत्र की श्रेष्ठ प्रतिभाओं की आवश्यकता है। भारत में स्थापित शोध एवं अनुसंधानों के विश्वस्तरीय संस्थानों में ऐसा करने की क्षमता है। इज़राइल ने अपनी प्रगतिशील नीतियों और धनी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की उपस्थिति से अपने यहाँ विश्वस्तरीय स्टार्टअप तैयार कर लिए हैं।वर्षों की उदासीनता के बाद अब हमारा देश भारत को नवोन्मेष की राजधानी बनाने की दिशा में कदम उठा सकता है।

टाइम्स ऑफ़  इंडिया में प्रकाशित आर. के. मिश्रा और सर्व श्रवण के लेख पर आधारित।

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