भारत में नवोन्मेष और उद्यमिता के लिए प्रयास

Afeias
27 Jun 2017
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Date:27-06-17

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  • हमारे देश में सृजनात्मकता के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री का सपना है कि नए उद्यमों के साथ अगले एक दशक तक प्रतिवर्ष एक करोड़ लोगों को रोजगार दिया जा सके। इस सुनहरी परिकल्पना का धरातल क्या हो सकता है? हम कैसे उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए एक दिमागी चिंगारी को सुलगाएं, जो आग का रूप लेकर देश में फैल जाए?
  • हालांकि अभी हम नए उद्यमों के पथ पर अग्रसर हो चुके हैं। रास्ता मुश्किल है, लेकिन बेंगलुरू का कोरामंगला, मुंबई का पोवई और गुरूग्राम देश के ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जो लगातार नए-नए उद्यमों के विचार को यथार्थ की पृष्ठभूमि पर तैयार कर रहे हैं। इनकी इस यात्रा में सरकार का अटल नवोन्वेष मिशन लगातार सहयोगी बना हुआ है।हाल ही में अटल नवोन्मेष मिशन ने देश में 457 ऐसी प्रयोगशालाओं के निर्माण की घोषणा की है, जो नन्वोन्मेष के इच्छुक मस्तिष्क को एक आधार प्रदान करेंगी। इनकी स्थापना उच्च विद्यालयों में की जाएगी। इन विद्यालयों का चुनाव पिछले कुछ महीनों में बच्चों की जागरुकता को देखते हुए किया गया है। इन प्रयोगशालाओं के निर्माण के पीछे विचार यही है कि बच्चे या उनका समूह विज्ञान के साथ अपने मस्तिष्क के नए विचारों का तादात्म्य स्थापित करके कुछ नया कर सके।
  • प्रयोगशालाएं स्थापित करने के विचार की हर प्रकार से प्रशंसा की जा सकती है। शहरी क्षेत्रों में इन प्रयोगशालाओं के संचालन के लिए पर्याप्त साधन और प्रशिक्षित शिक्षक मिल जाएंगे। जहाँ तक दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों का सवाल है, वहाँ इनके संचालन में कठिनाई आ सकती है। अटल नवोन्मेष मिशन ने इस समस्या से निपटने के लिए जल्द ही ‘‘मेन्टर इंडिया मूवमेंट’’ चलाने का निर्णय लिया है। इस मिशन में ऐसे लाखों कार्यकर्ताओं को जोड़ा जाएगा, जो सक्षम हैं और अपना कुछ समय इन प्रयोगशालाओं में बच्चों के साथ बिता सकते हैं। इससे जुड़ने वाले मेन्टर स्वाभाविक रूप से अपने क्षेत्र के दक्ष लोग होंगे, जो अपनी प्रतिभा के साथ-साथ तकनीकी कौशल के अनुभव से हमारी भावी पीढ़ी को लाभान्वित कर सकेंगे।इन मेन्टर या अनुभवी गुरूओं का चयन करके उन्हें प्रशिक्षित करना एक बड़ा काम होगा। सरकार को चाहिए कि इन गुरूओं को प्रोत्साहन देने के लिए कोई तरीका अपनाए। साथ ही इन्हें ऐसी सुविधा हो कि ये गुरू समय-समय पर अपनी बात किसी केन्द्रीय विभाग के सामने रख सकें या उस पर चर्चा कर सकें।
  • इस मामले में हम विदेशों से भी उदाहरण ले सकते हैं। अमेरिका का पीस कॉर्पस्, टीच फॉर ऑल, टाई आदि ऐसे नए उद्यम हैं, जो समाज के अलग-अलग वर्गों को शामिल करके चलाए जा रहे हैं और सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं।भारत के उच्च विद्यालयीन बच्चों का उनकी सृजनात्मक क्षमता में विश्वास जगाकर और वयस्कों को उनके इन प्रयासों में सहायक और मार्गदर्शन बनाकर मिशन को सफल बनाया जा सकता है।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित तरूण खन्ना के लेख पर आधारित। लेखक नीति आयोग की एन्टरप्रन्यरशिप एण्ड इनोवेशन कमेटी के अध्यक्ष हैं।

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