वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भारत का प्रयास

Afeias
20 May 2022
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हाल ही में भारत ने त्रिपक्षीय विकास निगम या ट्राईलेटरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन (टीडीसी) शुरू किया है। इसमें एकत्रित फंड, देशों को कर्ज में डूबे बिना, अपने आर्थिक विकास के लिए विकल्प प्रदान करेगा। इस प्रयास में भारत निजी उद्यमों, सरकारी समर्थन और निवेश के इच्छुक देशों को शामिल करना चाहता है। इस साझेदारी से भारत न केवल हिंद-प्रशांत में, बल्कि विकासशील दुनिया के अन्य हिस्सों में भी सक्रिय रूप से भाग ले सकेगा।

प्रयास, हित साधने वाला है, कैसे ?

  • समान विचारधारा वाले लोकतान्त्रिक राष्ट्र, चीनी विकास मॉडल का एक विकल्प चाहते हैं। वे इस पर काम कर रहे हैं। ज्ञातव्य हो कि चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’, व अन्य आकर्षक योजनाओं के जाल में फंसकर अनेक विकासशील व पिछड़े देश कर्ज में डूब गए हैं। श्रीलंका इसका उदाहरण है।
  • महामारी और युक्रेन-रूस युद्ध ने संकट को बढ़ा दिया है।
  • हिंद-प्रशांत को खुला और मुक्त रखने के लिए टीडीसी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
  • कई साझेदारों के साथ परिचालित समूह में निवेश चाहने वाले देशों को चीन के स्थान पर वास्तविक विकल्प मिल सकेगा।
  • भारत के अतिरिक्त प्रयास में मानव संसाधन तक पहुंच बढ़ेगी (विशेष रूप से प्रौद्योगिकी में)। इससे विकासशील कार्यों की लागत कम होने का अनुमान है।
  • इस योजना में भारत का उद्देश्य आर्थिक और बुनियादी परियोजनाओं को इस प्रकार से आगे बढ़ाना होगा, जो विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के उपयुक्त हों।

हिंद-प्रशांत और अफ्रीका के कई हिस्सों में भारतीय मूल और प्रवासी समुदाय, इस प्रयास के भारी पक्षधर हैं। वैश्विक क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए भारत का यह प्रयास सराहनीय कहा जा सकता है। इसके माध्यम से भारत, विकसित और विकासशील देशों की साझेदारी में न केवल अपनी बल्कि अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को मुक्त करके, विकास और स्थिरता सुनिश्चित कर सकता है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 28 अप्रैल, 2022

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