भारत के स्टार्ट अप

Afeias
11 Jan 2019
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Date:11-01-19

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बदलते भारत के गर्भ में आज तकनीक और नवोन्मेष हैं। इस परिदृश्य की अहम् बात यह है कि ऐसा परिवर्तन किसी एक क्षेत्र या समूह तक सीमित नहीं है।

भारत की कुछ ऐसी निहित शक्तियां है, जो उसकी स्टार्टअप संस्कृति को सहयोग देती हैं। (1) सशक्त आर्थिक प्रगति और प्रजातांत्रिक लाभांश ने घरेलू उपभोक्ता वर्ग और उनकी क्रय-शक्ति में अपार बढ़ोत्तरी की है। (2) विज्ञान, तकनीक, इंजीनियंरिंग एवं गणित में स्नातक भारत का युवा वर्ग, भारत की तकनीकी क्रांति में बढ़-चढ़कर भाग लेने को उत्सुक है। (3) भारत द्वारा दिए जाने वाले अवसरों और उससे जुड़ी चुनौतियों को बहुत से उद्यमी स्वीकार करने को तैयार हैं। सरकार ने भी व्यापार में सहजता लाने के लिए स्टार्टअप के लिए अनुकूल वातावरण, लघु मझोले उद्योगों के लिए नियमन अवरोध हटाने, और तकनीक की सुविधा बढ़ाने हेतु बुनियादी मंच तैयार करने जैसे महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।

2014 से लेकर अब तक स्टार्ट अप के क्षेत्र में 40 अरब डॉलर से भी ज्यादा का निवेश किया गया है। इसके चलते घरेलू और बाहरी निवेशकों का विश्वास जीता गया है।

  • वित्तीय सेवा क्षेत्र में यूनीफाईड पेमेंट इंटरफेस जैसी उत्तम तकनीकी सेवा दी जा रही है। आज इससे 114 बैंक जुड़े हुए हैं। इससे होड़ करने में गूगल, अमेजन और सैमसंग ने भी अपने पेमेंट बैंक शुरु कर दिए हैं।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र में सिगटपल ऐसी तकनीक है, जिससे रोग का त्वरित निदान ढूंढा जा सकता है। यह कम कीमत वाली ऐसी तकनीक है, जिससे बेसिक स्क्रीनिंग की जा सकती है, एवं रक्त की जाँच भी की जा सकती है।

इसी कड़ी में ट्राईकॉग एक ऐसा स्टार्टअप है, जो एम आई के माध्यम से हृदय रोगों की जाँच और निदान को तीव्र बनाता है।

  • शिक्षा के क्षेत्र में एम्बाइव ऐसी तकनीक है, जो शिक्षक के अभाव को पूरा करके, व्यक्तिगत स्तर पर पढ़ने का मंच प्रदान करती है।

यह विद्यार्थी के व्यवहार को समझकर उसके अनुसार पढ़ाई के लिए लक्ष्य प्रदान करती है।

  • आई आई टी मद्रास की टीम ने एक ऐसा माइक्रोप्रोसेसर शक्ति तैयार किया है, जो रिस्क-वी पर आधारित है। यह अन्य माइक्रोप्रोसेसर की तुलना में निर्देशों को जल्दी प्रोसेस करता है।

यह प्रोसेसर ए आई, रोबोटिक्स, 3 डी प्रिटिंग और वर्चुअल रियलिटी के क्षेत्र में चैथी औद्योगिक क्रांति के लिए उत्प्रेरक सिद्ध हो सकता है।

  • कृषि के क्षेत्र में एक ऐसी तकनीक आई है, जो फसल के घनत्व, स्वास्थ्य, पैदावार एवं कटाई के समय आदि का अनुमान लगा सकती है। यह उपग्रह एवं मौसम के डाटा की सूचना के आधार पर काम करती है।

इस तकनीक से बाढ़ पोर्टल को भी विकसित किया गया है। इससे बाढ़ में नष्ट होने वाली फसल के नुकसान का सही पता लगाकर किसानों को उचित मुआवजा देने में मदद मिलेगी।

कृषि-तकनीकी के क्षेत्र में काम कर रही कम्पनी वसार लैब ने ए आई और आई ओटी पर आधारित जल-प्रबंधन आर कृषि सलाहकार सेवाओं की शुरूआत की है।

  • ए आई पर आधारित चैट प्लेटफार्म हैप्टिक, विश्व का सबसे बड़ा मंच है, जिसके माध्यम से लोगों को अनेक सेवाएं मिल सकती हैं।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित अमिताभ कांत के लेख पर आधारित। 26 नवम्बर, 2018