पक्षियों के संरक्षण का एक सटीक प्रयास

Afeias
16 Mar 2020
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Date:16-03-20

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हाल ही में पक्षियों की लुप्त होती प्रजातियों पर आई रिपोर्ट ने चिंता की स्थिति उत्पन्न कर दी है। इनमें कुछ प्रजातियां ऐसी भी हैं, जो वैश्विक स्तर पर कम हो रही हैं, परन्तु भारत में इनकी स्थिति अच्छी है। विश्व रिपोर्ट में भारतीय पक्षियों की 67 प्रजातियों को खतरे की स्थिति में बताया गया था। इनमें 34 प्रजातियां और जुड़ गई हैं। इन्हें तुरन्त संरक्षण की आवश्यकता है।

प्रस्तुत रिपोर्ट में दो बातें गौर करने लायक हैं। पहली तो यह कि यह आम नागरिकों की सूचनाओं को भी महत्वपूर्ण स्थान देती है। दूसरे यह कि इस रिपोर्ट का डेटा और मूल्यांकन सार्वजनिक है । इस पर आलोचकों को समीक्षा करने का खुला अवसर मिलता है।

रिपोर्ट तैयार करने की चुनौतियां और प्राप्त सफलता

(1) भारत में पक्षियों की लगभग 1300 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें बहुत सी भिन्नताएं हैं। कुछ खुले में उड़ने वाली हैं, तेज आवाज करती हैं; तो वहीं कुछ शर्मीली किस्म की चिड़िया हैं, जिन्हें ढूंढना या देखना बहुत मुश्किल होता है। इनके आवास अत्यंत विस्तृत क्षेत्र में हैं। कुछ प्रवासी पक्षी हैं, जो आते-जाते रहते हैं। ऐसे में पक्षियों की संख्या का पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यह सर्वेक्षण पूरे देश में फैले 15,500 बर्डवाचर्स के माध्यम से सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सका है। इसके साथ ही तमाम सरकारी और गैर सरकारी संगठनों ने शोधों की समीक्षा करके उसे रिपोर्ट में उतारा गया है।

(2) रिपोर्ट में पक्षियों से संबंधित अनेक बदलाव देखे गए हैं। इनकी स्थितियों में परिवर्तन के कारणों का पता लगाना, उस दिशा में विकास और संरक्षण की गतिविधियों को आगे बढ़ाना निःसंदेह बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है। सफलता इस तथ्य में है कि कारणों को जानकर किए जाने वाले प्रयास सटीक हो सकेंगे, और वे लुप्तप्राय या खतरे की स्थिति में आती जा रही प्रजातियों के संरक्षण के लिए सार्थक कदम उठा सकेंगे।

(3) अनेक संस्थाओं के संयुक्त प्रयास के साथ ही रिपोर्ट की समस्त प्रक्रिया को सार्वजनिक रखा जाना चुनौतीपूर्ण रहा। परन्तु यही इसकी सफलता भी है। इससे संबंधित डेटा को विभिन्न अनुसंधानकर्त्ताओं  के लिए खुला रखा गया है। इसकी सार्वजनिक सुलभता से ही लोगों की इसमें जागरूकता बढ़ेगी, और उनमें हमारी जैवविविधता की वैज्ञानिक समझ भी विकसित हो सकेगी।

प्रकृति के साथ मानवीय संपर्क बढ़ाने वाले समस्त साधनों में पक्षी, एक विशेष भूमिका निभाते हैं। ये हर स्थान पर पाए जाते हैं। ये शिकारी होने के साथ-साथ बीज बिखराव करके हमारे जीवन को सुगम बनाते हैं। हमारी इस सामंजस्यपूर्ण यात्रा को तभी सफल बनाया जा सकता है, जब इसमें सार्वजनिक भागीदारी हो।

‘द हिन्दू’ में प्रकाशित एम.डी.मधुसूदन और उमा रामकृष्णन् के लेख पर आधारित।

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