15-11-2025 (Important News Clippings)
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Date: 15-11-25
बिहार चुनाव परिणामों में महिलाओं की बड़ी भूमिका
संपादकीय
बिहार में अगर 63 साल पहले हर 300 पुरुष के मुकाबले मात्र 180 महिलाएं मतदान करती थीं तो आज हर 300 महिलाओं के मुकाबले मात्र 180 पुरुष । अगर विकास के सभी प्रमुख पैरामीटर्स पर नीचे रहे समाज में उसी गठबंधन को तीन-चौथाई सीटों पर जीत मिले तो इसे साइलेंट – सुनामी कहते हैं। सत्तारूढ़ व्यवस्था का भरोसेमंद विकल्प न होना एक कारण हो सकता है। लेकिन परिणाम बताते हैं कि एक और कारण था- महिलाओं में सशक्तीकरण का अहसास, तात्कालिक लाभ को वरीयता देना और पुरुष वर्चस्व वाले समाज में भी घर के मुखिया या पति से अलग हटकर वोट देना। यह सच है कि पीएलएफएस रिपोर्ट में पता चला है कि रोजगार न मिलने सेवा घर बैठे हैं। वहीं यह भी सच है कि शराबबंदी से महिलाएं खुश हैं। उन्हें मकान की मिल्कियत और मुखिया आदि के चुनाव आरक्षण से सशक्तीकरण मिला है। लेकिन नई सरकार को अब प्राण-पण लगना होगा राज्य के औद्योगीकरण में। डबल इंजन की सरकार है। सरकार केवल कानून-व्यवस्था बेहतर कर सके तो कृषि-आधारित उद्योग बिहार को रातों-रात बदल सकते हैं। 1404 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी आबादी घनत्व वाले (देश में सबसे ज्यादा ) इस राज्य में कृषि पर निर्भरता घटाकर एमएसएमई सेक्टर को भी प्रोत्साहित करना होगा, जहां कम निवेश पर ज्यादा रोजगार हैं।
Date: 15-11-25
गुजरात- तमिलनाडु भारत के ‘सुपरस्टार’ राज्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को 2047 तक अमीर देश का दर्जा दिलाना चाहते हैं। इसके लिए अर्थव्यवस्था को 8% सालाना के आसपास बढ़ना होगा। पिछले 25 साल से औसत विकास दर 6% है। कुछ बड़े राज्य 8% के आंकड़े तक पहुंच पाते हैं। इसमें गुजरात और तमिलनाडु की मिसाल दे सकते हैं।
गुजरात- तमिलनाडु में देश की करीबन पांच फीसदी आबादी रहती है। लेकिन भारत के जीडीपी में हिस्सेदारी 8% और निर्यात में एक चौथाई से ज्यादा है। 2023 तक समाप्त दशक में गुजरात की अर्थव्यवस्था 8% दर से बढ़ी है। प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 60% अधिक है । गुजरात में टेक्सटाइल्स की मैन्युफैक्चरिंग, हीरों की पॉलिश के उद्योग चल रहे हैं। वह शिपिंग सेंटर रहा है। अब फार्मास्युटिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स जैसे बड़ी पूंजी के मेगा प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं। वह फाइनेंशियल सेवाओं और चिप मेकिंग में आगे बढ़ने की कोशिश में लगा है।
फ्रेंच थिंक टैंक-इंस्टीटट मोनटेग्ने के लिए क्रिस्टोफर जैफरलॉट, विग्नेश राजामणि और नील भारद्वाज के एक रिसर्च पेपर के अनुसार राज्य ने इंफ्रा में बड़े निवेश के जरिये बिजनेस हासिल किया है। उसने हाई क्वालिटी की सड़कें बनाई हैं । लेकिन कामयाबी के साथ एक बड़ी मुश्किल भी है। राज्य की समृद्धि से बहुत कम साधारण गुजरातियों को फायदा हुआ है। लगभग 12% लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे में हैं। यह तमिलनाडु से पांच गुना अधिक व गरीब राज्य पश्चिम बंगाल के लगभग बराबर है।
वहीं तमिलनाडु की विकास दर पिछले साल 11% रही। इसका एक कारण इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और खासकर एपल द्वारा भारत में उत्पादन बढ़ाने का फैसला है। राज्य ने पिछले साल 1.33 लाख करोड़ रुपए के इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात किया यानी कि देश के कुल का 40 फीसदी |
राज्य में बड़े पैमाने पर कारों, मोटर साइकिलों और लारियों का निर्माण होता है। शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार से तमिलनाडु को तरक्की का विस्तार करने में मदद मिली है। गुजरात और भारत के बड़े हिस्से में इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा फोकस रहा। वहीं तमिलनाडु ने एक सदी पहले सामाजिक सुधार शुरू कर दिए थे। भारत में मैन्युफैक्चरिंग में काम करने वाली करीब 40% महिलाएं तमिलनाडु राज्य में ही कार्यरत हैं।

Date: 15-11-25
भारत-भूटान संबंधों में नई ऊर्जा
संपादकीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा ने दो असमान शक्तियों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों के एक मॉडल को प्रतिबिंबित किया। यह ऐसा मॉडल है जिसे भारत ने लगभग 7,92,000 लोगों के हिमालयी राजतंत्र के साथ लगातार बनाए रखा है। नेपाल के विपरीत, वर्ष 2008 में भूटान के चुनावी लोकतंत्र में परिवर्तन ने भारत के साथ संबंधों को अस्थिर नहीं किया है। वर्ष 2007 में भूटान में राष्ट्रीय परिषद के लिए पहली बार प्रत्यक्ष चुनाव हुए थे। उस समय भारत- भूटान संधि में एक महत्त्वपूर्ण संशोधन किया गया और उस उपबंध को बदल दिया गया जिसमें कहा गया था कि भारत विदेशी मामलों में भूटान का ‘मार्गदर्शन करेगा। उसकी जगह लिखा गया कि दोनों देश ‘एक दूसरे की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान’ करेंगे। दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ अपने क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करने देने पर भी सहमत हुए। इस उपबंध का परीक्षण साल 2017 में भूटान के डोकलाम क्षेत्र पर चीन के कब्जे के दौरान हुआ था।
वर्ष 1960 के दशक से ही भूटान के साथ भारत के रचनात्मक और विश्वसनीय संबंधों के परिणाम निरंतर सौहार्दपूर्ण रहे हैं, जिससे इस पड़ोसी देश को शासन के संस्थानों और सैन्य क्षमता के निर्माण में मदद और विकास में उदार सहायता मिली है। भूटान की ओर से, चतुर्थ डुक ग्वालपो या नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक, जिन्हें के 4 के नाम से जाना जाता है, ने संबंधों को आगे बढ़ाया है। उन्होंने अपने साम्राज्य को संसदीय लोकतंत्र में बदलने की पहल की और फिर अपने पुत्र जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक (केड) की खातिर पद त्याग दिया था। मोदी की भूटान यात्रा के माहौल ने दोनों देशों के बीच पारंपरिक सभ्यतागत और रणनीतिक संबंधों को प्रतिबिंबित किया।
प्रधानमंत्री के4 के 70वें जन्मदिन पर मुख्य अतिथि थे और उन्होंने बौद्ध कालचक्र सशक्तीकरण समारोह का उद्घाटन किया, जो वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव के तहत तीन दिवसीय कार्यक्रम था। दिल्ली के लाल किले के पास हुए आतंकवादी विस्फोट के पीड़ितों के लिए के5 की अगुआई में थिम्पू में एक प्रार्थना समारोह आयोजित किया गया और पीएम मोदी ने भी उसमें हिस्सा लिया।
अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम में मोदी ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित और भारत की वित्तीय मदद से तैयार 1,020 मेगावॉट की पुनात्सांग – 2 जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया और देश में नई ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 4,000 करोड़ रुपये के ऋण देने की घोषणा की। चुखा, कुरिचु, ताला, मंगदेछु और पुनात्सांग-1 के साथ जलविद्युत भारत भूटान आर्थिक सहयोग के मुख्य स्तंभों में से एक रहा है। मोदी की यात्रा के दौरान एकीकृत भुगतान प्रणाली के दूसरे चरण सहित कई अन्य समझौते संपन्न हुए। एकीकृत भुगतान प्रणाली के दूसरे चरण सहित कई अन्य समझौते भी हुए भारत ने वर्तमान नरेश की महत्त्वाकांक्षी शहरी विकास परियोजना, गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी, जो दक्षिणी भूटान में विकसित किया जा रहा एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है, के लिए भी ठोस समर्थन दिया है। मोदी ने गेलेफू में निवेशकों और आगंतुकों की सुगम आवाजाही के लिए असम में एक आव्रजन जांच चौकी स्थापित करने की भी घोषणा की।
मोदी की यात्रा के दौरान प्रदर्शित की गई हार्ड और सॉफ्ट पावर की ठोस भू-राजनीतिक वजह हैं और वे भूटान की सीमाओं पर उभरती महाशक्ति से संबंधित हैं। भूटान और चीन के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है क्योंकि चीन, ऐतिहासिक रूप से तिब्बत का हिस्सा बताते हुए भूटानी भूभाग के एक बड़े हिस्से पर अपना दावा करता है। दलाई लामा के उत्तराधिकार को लेकर चीन की चिंता ने तनाव को और बढ़ा दिया था।
भूटान ने वर्ष 2023 से सीमा यातां पर सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर कर, दलाई लामा से दूरी बनाए रखते हुए, तथा तिब्बत के संदर्भ में औपनिवेशिक अर्थ को बदलते हुए चीन की चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है। इस वर्ष, चीनी नववर्ष का जश्न भूटान की राजधानी थिम्पू में मनाया गया ये कदम भले ही भूटान की व्यवहारिकता से प्रेरित हों, लेकिन ये भारत के लिए सतर्कता बरतने का एक संकेत हैं। इस लिहाज से मोदी की यात्रा को एक आवश्यक उपाय के रूप में देखा जा सकता है।