शिक्षित और सशक्त

Afeias
19 Mar 2020
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Date:19-03-20

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प्रत्येक राष्ट्र के विकास के लिए महिला सशक्तीकरण अनिवार्य है। संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर महिलाओं की प्रगति को स्थापित करने, और लैंगिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2020 को महत्वपूर्ण वर्ष घोषित किया है।

     भारत सरकार की योजनाएं महिलाओं के विकास में सार्थक सिद्ध हुई हैं।

  • स्वच्छ भारत मिशन के चलते अनेक विद्यालयों में महिला प्रसाधन की व्यवस्था हो सकी है। इसके कारण 2013-14 की तुलना में 2018-19 की कन्या पंजीकरण संख्या 25 प्रतिशत बढ़ गई है।
  • ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के अंतर्गत लड़कों की तुलना में लड़कियों की पंजीकरण दर बढ़ गई है। शिक्षा के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर-माध्यमिक, तीनों ही स्तर पर यह अधिक है।
  • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय है। मानव संसाधन मंत्रालय के इस प्रयास से 6.18 लाख लड़कियों को शिक्षा का अवसर प्राप्त हुआ है।
  • माध्यमिक स्तर पर लड़कियों को प्रोत्साहन के रूप में 8.56 करोड़ रुपयों की सहायता राशि दी गई है।
  • आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों में लड़कियों की संख्या बढ़ाने के लिए अतिरिक्त सीटें रखी गई हैं।

शिक्षा के अतिरिक्त भी सरकार ने उज्जवला योजना, स्वाधार गृह, महिला ई-हाट जैसी कई योजनाओं के माध्यम से नारी सशक्तिकरण का प्रयास किया है।

धारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक भेदभाव को दूर करके शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के प्रत्येक स्तर पर वंचितों को लाभान्वित करना होगा।

आमतौर पर यह कहा जाता है कि एक कन्या को शिक्षित करके हम पूरे परिवार को शिक्षित कर देते हैं। यही सत्य भी है। अतः देश की सभी लड़कियों को शिक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ने का लक्ष्य होना चाहिए।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित रमेश पोखरियाल निशंक के लेख पर आधारित। 4 मार्च, 2020

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