कोरोना में नागरिकों और नगर प्रशासन की भूमिका

Afeias
11 May 2020
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Date:11-05-20

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विपदा की इसी घड़ी में सरकार को कई मोर्चों पर एक साथ बहुत सक्रियता से काम करना पड़ रहा है। कहीं बहुत कठोर निर्णय लेने पड़ रहे हैं, तो कहीं बहुत नर्म रवैया अपनाना पड़ रहा है। इन सबके बीच जिंदगी बचाने से लेकर राहत कार्यों के संचालन में प्रशासन को जी-जान से जुटना पड़ा है।

पूरे संदर्भ में भारतीय प्रशासन के लिए सबसे पहली चुनौती स्वास्थ्य सेवा का सुचारू रूप से संचालन करने की रही है।

दूसरे, अप्रवासी मजदूरों को उनकी जगह पर बनाए रखने के साथ-साथ उनके भोजन और रहने की व्यवस्था की समस्या रही है।

प्रशासन की इन दोनों ही चुनौतियों को तकनीक ने बहुत आसान बना दिया है। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, कथन को सार्थक बनाते हुए अनेक डेटा बेस मॉनिटरिंग मंच तैयार किए गए। इनके माध्यम से वायरस के फैलाव की स्थिति, जरूरतमंदों की स्थिति और उनकी जरूरतों का पता लगाने के लिए तकनीक का बढ़-चढ़कर इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसी श्रंखला में सूरत नगर निगम ने कोविड-19 ट्रेकर एप तैयार कर ली है। इसके माध्यम से होम क्वारंटाइन और विदेश भ्रमण से हाल ही में लौटे लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाया जा रहा है। इससे लगभग 8,500 लोगों को ट्रैक किया जा रहा है।

बंगलुरू की वृहान बंगलुरू महानगरपालिका ने 24X7 का कोरोना वायरस वॉर रूम तैयार कर लिया है। जी आई एस के माध्यम से तैयार इस तकनीक में जीपीएस के माध्यम से स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रैक किया जा रहा है।

नागपुर नगर प्रशासन ने इस लड़ाई हेतु निजी क्षेत्र का सहयोग लिया है। आगरा में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में ई-डॉक्टर सेवा की सुविधा दी जा रही है। इससे टेलीवीडियो कंसलटेशन लिया जा सकता है।

लखनऊ, चेन्नई, राजकोट और रायपुर भी इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अपने नगरों को संक्रमणमुक्त करने, नागरिकों को सुरक्षित रखने, राशन और अन्य जरूरी चीजों की सुविधाएं प्रदान करने आदि के लिए अनेक तकनीकी प्लेटफॉर्म का उपयोग करके इसे सफल बना रहे हैं।

भारत हेवी इलैक्ट्रिकल लिमिटेड ने तो चार दिनों में ही एक डिस्इनफेंक टेंट बना लिया है।

नगर स्तर पर चलाए जा रहे इन उपक्रमों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि भारत के ‘सोशल कैपिटल’ में उसके नागरिकों, नगर-सेवा, कार्पोरेट और शैक्षिक जगत् की शक्ति एकजुट है। यही कारण है कि स्वास्थ्यकमियों और पुलिसकर्मियों के प्रयासों की सराहना के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान पर पूरे देश ने एकजुटता दिखाई थी। यह वह समय है, जब हमारे जिम्मेदार नागरिक यह नहीं पूछ रहे हैं कि प्रशासन उनके लिए क्या कर सकता है, बल्कि वे ही प्रशासन के लिए कुछ करने को तैयार खड़े हैं।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित कुणाल कुमार और ओ.पी.अग्रवाल के लेख पर आधारित। 23 अप्रैल, 2020