व्यवसाय में सुधार और लचीलेपन हेतु लिंग विविधता

Afeias
23 Jul 2021
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Date:23-07-21

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विश्व इकॉनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के अनुसार पिछले एक वर्ष में भारत, कार्पोरेट लिंग विविधता के मामले में 28 स्थान नीचे गिर गया है। यह अंतर भारत के कार्पोरेट क्षेत्र में महिला कर्मचारियों और निदेशकों को आगे बढ़ाने के लिए जबरदस्त प्रयास की जरूरत को दर्शाता है।

भारत ने एशिया में अपने कार्पोरेट बोर्डरूम में विविधता को अपनाया है। कुछ आंकडे –

  • कार्यकारी और गैर-कार्यकारी भूमिका में महिलाएं 5% कार्यकारी और 10% गैर-कार्यकारी भूमिका में हैं।
  • भारत के कार्पोरेट प्रशासन के उच्चतम स्तर पर महिला प्रतिनिधित्व पिछले एक दशक में बढ़ा है। फिर भी, वैश्विक स्तर पर 27.3% की तुलना में भारत में केवल 11% समिति में महिला अध्यक्ष हैं। स्पष्ट है कि हमें एक लंबा रास्ता तय करना है।
  • वर्तमान में, औसतन बोर्ड में 11 सदस्य होते हैं, जिनमें से केवल दो महिलाएं हैं। बोर्ड और कंपनी स्तर पर महिलाओं के लिए अतिरिक्त सीटें रखने से एक ऐसी संस्कृति का निर्माण होगा, जो महिला नेतृत्व का अधिक समर्थन करती है।

जापान जैसे देशों ने इस दिशा में बहुत सार्थक प्रयास किए हैं। वर्तमान सरकार के नेतृत्व में जापान ने महिला श्रम शक्ति में पर्याप्त वृद्धि देखी है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय होने की आवश्यकता है कि आर्थिक, व्यावसायिक, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के सभी स्तरों पर महिलाओं का समान प्रतिनिधित्व हो।

लिंग विविधता केवल कार्पोरेट का मुद्दा नहीं है। कंपनियों के अलावा संसद, विधायिकाओं, मंत्रालयों, बोर्डरूम और वैश्विक संगठनों में महिलाओं की अधिक-से-अधिक भागीदारी होनी चाहिए। भारत ने महिलाओं के अधिकारों को प्राथमिकता दी है, और लैंगिक अंतर को कम करने की दिशा में काम भी किया है। लेकिन हमें अभी भी कई मील की दूरी तय करनी है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित मनीषा गिरोत्रा के लेख पर आधारित। 7 जुलाई, 2021

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