ड्रोन से सुरक्षा – एक सबक

Afeias
22 Jul 2021
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Date:22-07-21

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हाल ही में जम्मू के वायुसेना मुख्यालय पर ड्रोन से हमला किया गया है। इसके साथ ही दो और ड्रोन, जम्मू हवाई अड्डे की ओर जाते दिखे, जिन्हें भगा दिया गया। भारत के इस क्षेत्र के लिए ड्रोन कोई नया नहीं है। 2019 से ही अनेक खालिस्तानी चरमपंथी पंजाब और जम्मू पर ऐसे हमले करते आ रहे हैं। इस माध्यम से किए गए हमलें में एक संदेश जरूर छुपा नजर आता है कि अच्छे और बुरे लोगों के बीच अपराध-रक्षा युद्ध में बुरे के पास अभी भी कुछ दांव बाकी हैं। क्योंकि इस हमले को अंजाम देने में संलिप्त लोग कश्मीरी आतंकवादियों से अधिक विस्फोटक की जानकारी रखने वाले प्रतीत होते हैं।

आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल –

क्षमता और सामर्थ्य की दृष्टि से इस प्रकार के आधुनिकतम हथियार, पूर्व में उपयोग में लाए जाने वाले युद्ध-हथियारों और सेना में मिसाइल ले जाने ड्रोनों से काफी बेहतर हैं। ए आई-सक्षम स्वायत्त ड्रोन, जो हवा और पानी के नीचे, इकाई या समूह में उपयोग में लाए जाते है, कई देशों की युद्ध संबंधी योजनाओं का हिस्सा बन चुके हैं।

जम्मू हमले का सबक यह है कि हाइब्रिड युद्ध के दौर में असैन्य प्रणालियों को सैन्य उपयोग के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। इसी प्रकार के अनमैन्ड एरियल वेहीकल से यमन के हौथी विद्रोहियों ने सउदी अरब में तेल भंडार पर हमला किया था। इसी से सीरिया में रूसी सैन्य सुविधाओं को निशाना बनाया गया था।

बचाव कैसे हो –

ड्रोन हमलों से बचाव के लिए एक विकसित क्षेत्र तैयार हो चुका है। कई कंपनियों ने इनके विरूद्ध सुरक्षा कवच तैयार किए हैं। कुछ तंत्र तो पहले से ही वी आई पी सुरक्षा में तैनात है। समस्या यह है ड्रोन की तुलना में इनमें सुरक्षा के उपायों की कीमत बहुत अधिक है। इसके साथ ही यह एक सीमित क्षेत्र को सुरक्षा देता है।

इस घटना के बाद ड्रोन पर प्रतिबंध लगाने या उनके उपयोग को सीमित करने पर कदम उठाया जाना एक गलती होगी। सिविल क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली ड्रोन तकनीक अभी प्रारंभिक अवस्था में है। लेकिन इसमें फोटोग्राफी, सर्वेक्षण, निगरानी, पाइपलाइनों, यातायात, यहाँ तक कि ऑनलाइन खरीदारी और भोजन पहुँचाने की व्यापक संभावनाएं हैं।

प्रौद्योगिकी मुद्दा नहीं होना चाहिए। स्मार्टफोन ने हमारे जीवन में क्रांति ला दी है। लेकिन सिर्फ इसलिए कि आतंकवादी भी उनका इस्तेमाल करते हैं, उन्हें प्रतिबंधित करना कोई समाधान नहीं है। चुनौती यह है कि इसे अपने लाभ के लिए कैसे इस्तेमाल करें।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित मनोज जोशी के लेख पर आधारित। 2 जुलाई, 2021

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