विनिर्माण को बढ़ावा देने का समय

Afeias
03 May 2025
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हाल ही में ट्रंप ने 75 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगा दिया है। बीजिंग पर 245% टैरिफ लगाया। यूरोप सहित पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में अनिश्चतता बनी हुई है। इन परिस्थितयों में यह ट्रेडवार भारत के लिए कैसे अवसर बन सकती है? आइये जानते हैं –

  • टैरिफ के शुरूआती खतरे से तो भारत उबर चुका है। पर विकास का अनुमान भी गिरा है। हमारी नीति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने की है, और हमनें ट्रेड डील सुरक्षित करने के लिए वार्ताओं के दौर को तेज कर दिया है।
  • भारत चीन या मैक्सिको की तरह नियति संचालित अर्थव्यवस्था नहीं है। भारत पर अन्य देशों की अपेक्षा टैरिफ भी कम लगता हैं। जहाँ चीन पर 245% , वियतनाम पर 46% टैरिफ है, वहीं भारत पर सिर्फ 26% टैरिफ है। इसलिए हम पर इसका प्रभाव कम होगा। हम इस टैरिफ वॉर को अपने पक्ष में उपयोग कर सकते हैं; टेक्सटाइल, मशीनरी और इलेक्ट्रानिक्स जैसे उच्च मूल्य वाले उद्योगों पर ध्यान देकर।
  • ताइवान पर 30% टैरिफ है। इसलिए सेमीकंडक्टर निर्यात में भारत एक विकल्प हो सकता है। पैकेजिंग, टेस्टिंग और लो एंड चिप निर्माण जैसी अपेक्षाकृत सुगम चीजों से शुरूआत की जा सकती है।
  • मशीनरी और खिलौनों का भी निर्यात किया जा सकता है, जिस पर चीन का एकाधिकार है।
  • चीन ने अमेरिका को रेयर अर्थ मिनिरल्स का निर्यात रोक दिया है। रेयर अर्थ मिनिरल्स के उत्पादों का 70% तथा रेयर अर्थ मैग्नेट्रस का 90% उत्पादन में द्वारा होता है। ये ईवी, सेमीकंडक्टर, जेट, मिसाइल आदि में प्रयोग किए जाते है। चीन और ब्राजील के बाद भारत रेयर अर्थ मिनिरल्स में तीसरा स्थान रखता है। ये धातुएँ रेयर नहीं होती। बस समस्या एक्ट्रैक्शन और प्रोसेसिंग की है।
  • हम चीनी कारखानों का भी विकल्प बन सकते हैं। पर यह सिर्फ टैरिफ के प्रभाव से नहीं होगा। अन्य फैक्टर्स भी देखने होंगे कि कच्चा माल कितना सस्ता है, सार्वजनिक बुनियादी ढ़ाँचा कैसा है, ईज आफ डूईंग बिजनेस की स्थिति क्या है तथा हम विवादों का निपटान कैसे करते हैं? ये फैक्टर्स टैरिफ से ज्यादा महत्व रखते हैं।
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