निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक फ्रंट लोड योजना

Afeias
09 Sep 2021
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Date:09-09-21

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हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन योजना की घोषणा की है।

योजना के मुख्य बिंदु –

  • योजना के अंतर्गत चार वर्षों के दौरान सरकारी संपत्तियों  से छः लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इसके तहत केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 तक सूचीबद्ध की गई रेल, सड़क और बिजली क्षेत्र सहित 20 प्रकार की बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों  के मौद्रीकरण के लिए चरणबद्ध तरीके से काम करेगी।
  • केवल उन्हीं परिसंपत्तियों  को शामिल किया जाएगा, जो पहले से संचालन में हैं।
  • योजना में बोली की प्रक्रिया के द्वारा निजी क्षेत्र को निर्धारित संपत्ति के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाएगी। जबकि मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा।
  • निर्धारित समयावधि के बाद संपत्ति सरकार को वापस सौंपी जानी होगी।
  • योजना का संबंध केवल राजस्व जुटाने से नहीं है, बल्कि बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करना और उनका बेहतर प्रबंधन करना भी है। इस धन से बुनियादी ढांचा निर्माण एवं विकास कार्यों को गति दी जा सकेगी।
  • योजना में सरकार केवल उन्हीं संपत्तियों  को निजी क्षेत्र को निवेश के लिए सौंपेगी, जिनका उपयोग सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।

राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन और विनिवेश में अंतर –

सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है। इस प्रक्रिया के जरिए सरकार, अपने शेयर बेचकर संबंधित कंपनी में अपनी मालिकाना हिस्सेदारी कम कर देती है।

राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना में सार्वजनिक क्षेत्र की बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों  को एक निर्धारित अवधि के लिए निजी क्षेत्र को पट्टे पर दिया जाता है। सरकार का मालिकाना हक यथावत रहता है।

योजना के लाभ –

  • बजट पर दबाव डाले बिना, सार्वजनिक निवेश के लिए संसाधन जुटाए जा सकते हैं।
  • विकास को गति देने वाले पूंजीगत व्यय में वृद्धि होती है।
  • इस योजना में परिसंपत्ति के मौद्रीकरण के लिए राज्यों को केंद्र से 33% की अतिरिक्त पूंजी दी जाती है। अतः 26 राज्यों ने इस हेतु नोडल तंत्र तैयार कर लिए हैं।

इस प्रकार की योजना की पूर्व में सफलता पर एक दृष्टि डालने के लिए पावर ग्रिड कारपोरेशन से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण आदि पर दृष्टि डाली जानी चाहिए।

कुछ चुनौतियाँ –

बीते दशकों में सरकारी संपत्तियों  से धन जुटाने के कुछ प्रयासों को सफलता नहीं मिल पाई है। इसके पीछे तैयारी और क्रियान्वयन में कमी रही है। चालू वित्त वर्ष में घोषित विनिवेश के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सरकार काफी पीछे है।

ऐसे में राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन योजना को सफलतापूर्वक लागू किए जाने के लिए प्रभावी प्रशासनिक ढांचे के साथ-साथ उसकी प्रगति पर भी नजर रखनी होगी। इस मामले में आने वाले जोखिमों पर विचार करते हुए, कर्ज, पर्यावरण संरक्षण कानून, कर कानून जैसे अनुपालन की तेज धार पर चलते हुए, निर्धारित संपत्ति की समयावधि और क्षमता पर ध्यान देना होगा। सावधान रहना होगा कि योजना के लाभ को विकास कार्यों में लगाया जाए।

अगर ऐसा संभव हो सका तो अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता बढ़ेगी।

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित।

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