
भूमि अधिग्रहण पर नया प्रस्ताव सराहनीय
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- भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण पर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
- इसके विवादों को कम करने और काम में तेजी लाने के लिए, भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है।
- एक प्रमुख प्रस्ताव में पांच साल तक अप्रयुक्त रही अधिग्रहीत भूमि को उसके मूल मालिक को लौटाने का विचार है।
- राजमार्ग परियोजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण राजमार्ग अधिनियम की धारा 3 के तहत किया जाता है। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार अधिनियम, 2013 के अनुसार मुआवजा निर्धारित किया जाता है।
- इस अधिनियम की धारा 101 में अप्रयुक्त भूमि को भूमि बैंक में रखने का भी प्रावधान है। कई राज्यों ने भूमि बैंक वाले प्रावधान को प्राथमिकता दी है।
- भूमि विवादों को जल्द सुलझाकर उसका यथोचित उपयोग किया जाना चाहिए। इस हेतु कार्यकारी पारदर्शिता की कमी, अत्यधिक नौकरशाही नियंत्रण, अर्पाप्त मुआवजा और अपर्याप्त पुनर्वास उपाय की चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 20 मार्च, 2025