विमानन क्षेत्र की चुनौतियां
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हाल ही में देश की प्रमुख विस्तारा एयरलाइन में आए गंभीर संकट के साथ ही देश के विमानन क्षेत्र की तस्वीर और उनसे जुड़े वास्तविक संकट पर दृष्टि चली जाती है।
कुछ बिंदु –
- भारत का विमानन क्षेत्र काफी विकास कर चुका है। कारोबार व बाजार पर शोध करने वाली संस्था ‘मोर्डोइंटेलीजेंस’ के अनुसार यह करीब 14 अरब डॉलर का क्षेत्र है, जिसके 2030-31 तक 28 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है।
- हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह प्रति छः वर्ष में लगभग 40% बढ़ रही है।
- इस क्षेत्र से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती ‘ईज ऑफ डुईंग बिजनेस’ है। इस पर सरकारी तंत्र की पकड़ कम हुई है, फिर भी यह अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर का नहीं हो सका है।
- क्षेत्र के और अधिक विकास के लिए जरूरी है कि घरेलू उड़ानों की संख्या को बढ़ाया जाए। यानि छोटे शहरों को भी हवाई सेवा से जोड़ा जाए।
- तीसरी बड़ी बाधा ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ की है। यानि यात्री हवाई अड्डे से अपने घर तक कैसे जाए?
- आतंकवाद और उससे संबंधित सुरक्षा व्यवस्था भी एक बड़ी चुनौती है। यूरोप के नोर्डिक देशों में यात्री बिना सुरक्षा जांच के हवाई जहाज के पास तक पहुंच जाते हैं। लेकिन हमारे यहाँ काफी पहले ही सामान और यात्रियों की जांच शुरू कर दी जाती है।
- क्षेत्र में प्रशिक्षित कर्मियों का अभाव है। देश में उड्डयन क्षेत्र से जुड़े विषयों के प्रशिक्षण के लिए अच्छे संस्थानों की बहुत कमी है।
जब देश में आर्थिक विकास तेजी से हो रहा है, तो आमदनी भी बढ़ रही है। इससे हवाई यात्रियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। यह आवश्यक है कि यात्रियों को पर्याप्त सुविधा देने के लिए इन चुनौतियों का हल जल्दी ही निकाला जाएगा।
‘हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित सरस चंद त्रिपाठी के लेख पर आधारित। 5 अप्रैल, 2024
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