ए आई : कितना वरदान, कितना अभिशाप

Afeias
19 Apr 2024
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वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की बढ़ती पैठ के साथ ही बहुत से प्रश्न उठ खड़े हुये हैं। क्या रचनात्मक उद्देश्यों के लिए आवाजों की क्लोनिंग करने के लिए ए आई का उपयोग करना नैतिक है? क्या वाकई आधुनिक तकनीक और ए आई टूल हमारे काम को आगे बढ़ा सकते हैं? या क्या यह रचनात्मकता और मानवता की प्रगति को बाधित कर सकते हैं? इसका भविष्य किस ओर जा रहा है?

हमारा यह लेख मुख्यतः संगीत में ए आई के इस्तेमाल पर दो प्रमुख विशेषज्ञों से की गई बातचीत पर आधारित है। लेकिन आज विभिन्न क्षेत्रों में एआई के बढ़ते प्रभाव से उपजे प्रश्नों के संबंध में भी इसकी प्रासंगिकता है।

ए आई का उपयोग कितना नैतिक –

किसी भी तकनीक का गलत उपयोग करना अनैतिक कहा जा सकता है। ए आई मानव प्रतिभा की नकल करने के अलावा अधिक कुछ नहीं कर सकता है। अगर इस तकनीक का उपयोग मूल प्रतिभा के परिवार या संबंधियों की अनुमति से और उचित मुआवजे के साथ किया जाता है, तो यह ठीक है।

ए आई कितना सहायक –

गायन उद्योग में गाने बनाने और उन्हें अच्छा बनाने के लिए लंबे समय से तकनीक का उपयोग हो रहा है। इस क्षेत्र में आमतौर पर उपयोग में आने वाला आटो ट्यूनर ए आई का ही एक रूप है। ए आई से काम के घंटों में काफी कमी आ जाती है। इससे कलाकारों को रचनात्मकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाता है। यह काम को आगे बढ़ाने में बहुत मददगार है।

किस रूप में बाधा है –

रचनात्मकता के मामले में यह मानवीय भावनाओं की बराबरी नहीं कर सकता है। यह मिक्सिंग और मास्टरिंग टूल की तरह ही काम कर सकता है। इसके प्रभाव से मानव थोडे़ ही समय में ऊब महसूस कर सकते है।

भविष्य कैसा हो सकता है?

ए आई का सही तरीके से उपयोग करने की जिम्मेदारी इंसान की है। खासकर भारत जैसे देश में जहाँ नीतियों को लागू नहीं किया जाता है, वहाँ हर व्यक्ति और बौद्धिक संपदाओं की सुरक्षा के लिए एक प्रक्रिया लागू होनी चाहिए। एक सशक्त नियामक तंत्र बनाया जाना चाहिए। किसी भी तकनीक का नियंत्रित उपयोग वरदान बन सकता है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित लेख पर आधारित। 16 मार्च, 2024

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