श्वेत क्रांति 2.0 की शुरुआत
To Download Click Here.
परिचय –
हाल ही में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दस हजार नई प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (पैक्स) की शुरुआत की और पाँच साल में 2 लाख नये पैक्स बनाने की बात भी कही।
सरकार ने पैक्स के जरिए श्वेत क्रांति 2.0 की शुरुआत की है। यह शुरुआत 1970 में शुरु हुए आपरेशन फ्लड पर आधारित है। श्वेत क्रांति 2.0 का वित्त पोषण राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के माध्यम से होगा। अभी भी दूध उत्पादन से जुड़े 6.5 करोड़ परिवार सहकारी क्षेत्र के दायरे से बाहर हैं।
पैक्स की शुरुआत के कारण –
- 6.5 करोड़ ग्रामीण परिवारों को सहकारी क्षेत्र से जोड़ना है, ताकि जिससे ग्रामीणों को उत्पाद का सही मूल्य प्राप्त हो और उनका शोषण न हो सके।
- श्वेत क्रांति 2.0 का प्राथमिक लक्ष्य दूध संग्रह को 50% तक बढ़ाना है। 2028-29 तक दैनिक दूध की खरीद को 660 लाख किलोग्राम से बढ़ाकर 1007 लाख किलोग्राम करना है।
- डेरी क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी 70% है। इससे महिलाओं की भागीदारी और बढ़ेगी तथा उनका सशक्तिकरण होगा।
- विश्व के दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 24% है, जबकि निर्यात में 1% से भी कम हिस्सेदारी है। भारत में डेरी एवं पशुपालन उद्योग का G.D.P. में योगदान 57% है। पैक्स से हम निर्यात बढ़ा सकेंगे। इससे G.D.P. में वृद्धि होगी।
- डेरी उद्योग कृषि उत्पादन का 40% हिस्सा है। बाजार में असंगठित क्षेत्र से आने वाला दूध संगठित क्षेत्र की अपेक्षा अधिक होता है। देश के कुल उत्पादन का 10% सहकारी समितियों के माध्यम से आता है। इनका कवरेज भी असमान है। इसके लिए NDDB अगले पाँच वर्षों में 56 हजार सहकारी समितियाँ स्थापित करेगा तथा 46 हजार में सुधार के कार्य भी किए जाएंगे।
श्वेत क्रांति 2.0 के लिए चुनौतियां –
- हमारे यहाँ हरे चारे की 11% तथा सूखे चारे की 33% कमी है। यद्यपि भारतीय चारागाह और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी ने पशु चारे की उन्नत किस्में जारी की हैं, लेकिन वर्तमान में इनकी स्वीकार्यता बहुत कम है।
- 84 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि के सिर्फ 4% पर ही चारे की खेती होती है।
- पिछले 1 दशक में 31% चरागाह खत्म हो गए हैं। इस समस्या पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
*****
Related Articles
×