श्रम-बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सुझाव
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वैश्विक स्तर पर श्रम बल में महिलाओं की औसत भागीदारी दर 50% है, जबकि पुरूषों के मामले में यह अनुपात 80% है। रोजगार में दीर्घकाल से चले आ रहे लैंगिक अंतर को स्पष्ट करने के लिए “डॉ० क्लॉडिया गोल्डिन” को अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार मिला।
भारत में श्रम बल में लैंगिक अंतर दूर करने के लिए निम्न उपाय किये जाने चाहिए –
1] युवा, बीमार एवं बुजुर्ग के लिए एक देखभाल व्यवस्था विकसित की जाए।
2] महिलाओं को अपने वाहन खरीदने एवं उन्हें चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्हें इसके लिए उचित समर्थन भी दिया जाए, जैसे कर में छूट, आसान ऋण की सुविधा, सस्ती ब्याज दर एवं ड्रायविंग लायसेंस आदि।
3] हमारे शहर एवं कार्यस्थल सुरक्षित बनाए जाएं। इसके लिए सार्वजनिक स्थलों पर अधिक संख्या में महिलाओं की उपस्थिति हो। सुरक्षा कर्मी, पुलिस बल और परिवहन चालक, आदि पदों के लिए महिलाओं की नियुक्ति की जरूरत है।
4] भारतीय पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी 10% से बढ़ाकर 30% तक करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। महिलाओं के लिए नए पद सृजित कर पुलिस बल का आकार बढ़ाया जा सकता है।
5] महिलाओं के लिए सुरक्षित आवासीय सुविधा दी जाए। लिंग आधारित भेदभाव अनिवार्य रूप से समाप्त हो। सार्वजनिक जागरूकता अभियान और नियमन के बेहतर क्रियान्वयन से यह प्राप्त किया जा सकता है।
6] कामकाजी महिलाओं के लिए करों में छूट के प्रावधान किए जाएं। इससे पारिवारिक स्तर पर भी महिलाओं को समर्थन जुटाने में सहायता मिलेगी।
7] 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं, जो बच्चों के लालन-पालन के उत्तरदायित्व के बाद कार्यबल में दोबारा शामिल होती हैं, उन्हें स्वास्थ, सौंदर्य, शिक्षा आदि प्रकार के सेवा-उन्मुखी क्षेत्रों में भागीदारी दी जानी चाहिए।
8] हमें शुरू से ही लड़के एवं लड़कियों में लैंगिक अंतर को लेकर किसी भी तरह का पूर्वाग्रह नहीं पालने की सीख देनी चाहिए। खेल, ऐच्छिक कार्यों एवं स्कूल के बाद की गतिविधियों के माध्यम से यह कार्य किया जा सकता है।
9] लड़कों को घरेलू कार्य एवं गतिविधियां सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसी तरह लड़कियों को तकनीकी शिक्षा, वित्तीय साक्षरता, ड्रायविंग एवं आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
10] सार्वजनिक जीवन के सभी क्षेत्रों में नेतृत्व स्तर पर पुरूष एवं महिलाओं में असमानता को दूर करने की जरूरत है। नेतृत्व स्तर पर समानता देने से महिलाओं के आगे बढ़ने का मार्ग और प्रशस्त हो सकेगा।
इन उपायों से महिलाओं के लिए रोजगार में प्रवेश अधिक सरल, सुरक्षित, लाभकारी एवं पेशेवर तौर पर फलदायक होगा। आर्थिक उपायों के साथ संस्थागत एवं सामाजिक उपाय भी सुनिश्चित होंगे।
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