
महिलाओं की भागीदारी का मतलब है सुरक्षित रहना
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किसी देश के विकास की स्थिति को निर्धारित करने के लिए महिलाओं की भागीदारी के स्तर को मापना एक अच्छा मानक है। महिलाओं की भागीदारी के लिए परिस्थितियों को अनुकूल बनाने की जरूरत है।
कुछ बिंदु –
- बाहर निकलने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षा एक बड़ा कारक है, बेहतर स्ट्रीट लाइटिंग से इसे कुछ सीमा तक ठीक किया जा सकता है। उनके कार्यस्थलों, सार्वजनिक और थोड़ी सुनसान जगहों पर उनकी सुरक्षा से जुड़े निवारक और सक्रिय उपाय किए जाने चाहिए। भारत में हर दिन औसतन 86 बलात्कार की घटनाएं दर्ज की जाती हैं।
- महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों के लिए कानून और दंड का कार्यान्वयन सही ढंग से होना चाहिए।
- सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में सुधार होने से महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की संभावना है।
न्यायपालिका के सराहनीय प्रयास –
- 2015 में एक सार्वजनिक बस में एक महिला का यौन उत्पीड़न करने वाले एक व्यक्ति की सजा को बरकरार रखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसे ‘गहरी चिंताजनक वास्तविकता‘ कहा है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर शीर्ष न्यायालय ने रोक लगा दी है, जिसमें उसने किसी महिला को अनुचित तरीके से छूने को बलात्कार का प्रयास नहीं माना गया था।
अंततः यह जिम्मेदारी केवल न्यायपालिका की नहीं है। प्रशासनिक निकायों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सड़कें रोशन हों। पुलिस को उत्पीड़न मामलों को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए प्रशिक्षित किया जाए। कानून प्रवर्तन में सभी रिक्तियों को तुरंत भरा जाए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 मार्च 2025
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