उद्यमिता में महिलाओं की भागीदारी

Afeias
11 Mar 2020
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Date:11-03-20

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महिला उद्यमिता को किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। महिला उद्यमी न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाती हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ाती है। भारतीय समाज में महिला उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक मोर्चों पर बदलाव लाने की जरूरत है।

कुछ तथ्य

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 से ज्ञात होता है कि इस वर्ष के प्रारंभ में देश की स्टार्टअप कंपनियों में कम से कम एक महिला निदेशक वाली कंपनियों का हिस्सा 43 प्रतिशत ही था।

गौरतलब है कि सेबी के निर्देशानुसार सभी सूचीबद्ध कंपनियों को अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला को नियुक्त करना जरूरी है। इससे उनकी संख्या बढ़ी जरूर है, लेकिन इसे उनकी कारोबारी भागीदारी से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।

  • 2019 के महिला उद्यमी सूचकांक के 57 देशों में भारत का स्थान 52वाँ रहा है।
  • महिला उद्यमियों को आगे लाने के लिए केवल आर्थिक मदद काफी नहीं होती। शिक्षा के बढ़ते आंकड़े भी इस स्थिति में अधिक बदलाव नहीं ला पाए हैं।
  • नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार भारत के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में से केवल 14 प्रतिशत प्रतिष्ठान ही महिलाओं द्वारा संचालित हैं। इनमें से अधिकतर उद्यम स्ववित्त पोषित और छोटे स्तर के हैं।

भागीदारी कैसे बढ़ाई जाए?

  • अगर सरकार की नीतियां सहयोगी बनें, महिलाओं को नवाचार के लिए उचित आर्थिक सहायता मिल सके, तो उनका क्षेत्र विस्तृत हो सकता है।
  • ‘वूमन एंटरप्रेन्योरशिप इन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार यदि महिलाओं में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जाए, तो देश में पन्द्रह से सत्रह करोड़ रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। इसके लिए आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को बदलना जरूरी है।
  • समाज को रूढ़िवादी सोच से बाहर निकलना होगा। महिलाओं की नवाचार से जुड़ी सोच और प्रयासों को बढ़ावा देना होगा।
  • लैंगिक भेदभाव को दूर करना होगा।
  • स्त्री-शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।
  • महिलाओं के लिए कौशल विकास केन्द्र खोलने होंगे।

आज भारतीय कार्यबल में प्रत्यक्ष श्रमशक्ति में 40 प्रतिशत और अप्रत्यक्ष श्रमशक्ति में 90 प्रतिशत योगदान महिलाओं का ही है। भारत को एक ऐसे विकास मॉडल की जरूरत है, जो अधिक से अधिक महिलाओं को उनकी योग्यता के अनुरूप उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित करे।

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित।

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