पृथ्वी के ‘रेफ्रिजरेटर’ पर संकट
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विश्व का पाँचवा बड़ा महाद्वीप अंटार्कटिका दुनिया की लगभग 90 प्रतिशत बर्फ का घर है। इसलिए इसे ‘पृथ्वी का रेफ्रिजरेटर’ कहा जाता है। यहाँ के बर्फ की चादरों में धरती का सबसे अधिक पानी समाया हुआ है। सदियों से यह महाद्वीप पृथ्वी को शीतल रखे हुए है।
हाल के शोधों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण यह महाद्वीप बड़े बदलावों से गुजर रहा है। इस महाद्वीप के चारों और तैरने वाली बर्फ सन् 2022 की तुलना में दस प्रतिशत कम हो गई है।
यहाँ तक कि सर्दियों के मौसम में भी इस बर्फ की क्षतिपूर्ति नहीं हो पाई। यानी कि अंटार्कटिका की यह ‘आइस शीत‘ घट रही है।
एक अध्ययन के अनुसार 25 वर्षों में अंटाकर्टिका करीब साढ़े सात लाख टन बर्फ खो चुका है।
अन्तरराष्ट्रीय जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण तेजी से अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है। इसके कारण प्रतिवर्ष लगभग पाँच हजार उल्कापिंड बर्फ की गहराईयों में डूबकर नष्ट हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि अंटार्कटिका की सतह पर अनगिनत छोटे-बड़े उल्कापींड जमा हैं। पृथ्वी पर अब तक प्राप्त लगभग 80 हजार उल्कापिंड में से 60 प्रतिशत से अधिक अंटाकर्टिका की सतह पर ही पाये गये है।