पर्यटकों के लिए एक प्रभावी पुलिस की आवश्यकता
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हमारे देश में विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाले तरह-तरह के अपराधों की सुचनाएं मिलती ही रहती हैं। अगर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो भले ही वर्ष दर वर्ष इनका प्रतिशत घटता दिखाई देता है, लेकिन इसके पीछे अनेक कारण हो सकते हैं –
– महामारी के कारण पर्यटकों की संख्या का कम होना या
– अपराध का पंजीकरण न होना।
इसका यह अर्थ कदापि नहीं लगाया जा सकता है कि देश में विदेशियों के प्रति होने वाले अपराधों में कमी आ गई है। ऐसे अपराध वैश्विक स्तर पर देश की छवि को धूमिल करते हैं। आर्थिक नुकसान भी पहुँचाते हैं। कुछ आंकड़े –
- 2019 में पर्यटन से देश को 30.06 अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ था। परंतु 2020 में कोविड के प्रतिबंधों के कारण यह 6.958 अरब डॉलर रह गया था। गत वर्ष इसमें थोड़ी सी वृद्धि हुई है।
- 2024 तक 1 करोड़ 30 लाख के लगभग विदेशी पर्यटकों के आने की संभावना है। इसकी तैयारी में उनकी सुरक्षा की नीति तैयार करना बहुत जरूरी है।
इस हेतु पर्यटन मंत्रालय ने पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ब्यूरो के साथ मिलकर पर्यटकों के लिए पुलिस के विचार को साकार करने की योजना तैयार की है। कुछ बिंदु –
- पर्यटक पुलिस स्टेशन और कंट्रोल रूम बनाना।
- आउटपोस्ट, यूनिफार्म, भर्ती, योग्यता, प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक की जरूरतों की पूर्ति की व्यवस्था करना।
- देश के 25 प्रमुख पर्यटक स्थलों का चुनाव करके वहाँ इस विशेष पुलिस बल को तैनात करना।
- इस बल में नियुक्त पुलिसकर्मियो को 30% का डेपुटेशन भत्ता देना।
इसके अलावा भी जरूरी है कि विदेशी पर्यटकों के मन में भारत-भ्रमण को लेकर एक प्रकार की सुरक्षा का भाव भर दिया जाए, जिससे कि वे भारत आने में न हिचकें, और जब देश छोड़कर जाएं तो अच्छी छवि लेकर जाएं। पर्यटकों का भारत आगमन थोड़े समय के लिए होता है। इसलिए यह भी जरूरी है कि इनसे जुड़े अपराधों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएँ। इससे भारत की छवि और भी बेहतर हो सकती है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित एम.पी. नथेनल के लेख पर आधारित। 8 दिसबंर, 2022