निकोबार की पारिस्थितिकी से जुड़े प्रश्न
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ग्रेट निकोबार में सरकार नौसैनिक परिसर बनाने पर विचार कर रही है। पर्यावरण मंत्रालय ने इस क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकीय तंत्र को देखते हुए भी कई तरह के आश्वासन दिए हैं। क्या ये आश्वस्त करने वाले हैं ?
– गैलेथिया खाड़ी का नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र, किसी भी बड़े पैमाने पर विकास के उपयुक्त नहीं है।
– विशेषज्ञों का कहना है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह अत्यधिक सक्रिय टेक्नोनिक क्षेत्र में आते हैं। उन्होंने मंत्रालय की इस बात को नहीं माना है कि इस क्षेत्र में अगले 420-750 वर्षों तक कोई भूकंपीय घटना नही होगी।
– परिसर बनाने के 30 वर्षों में विस्फोट, ड्रिलिंग, ड्रेजिंग और अन्य निर्माण कार्यों से द्वीप का पारिस्थितिकी तंत्र बदल जाएगा।
– द्वीप के निवासियों का जीवन बाधित होगा।
– बाहरी लोगों के आने से इसके मीठे पानी के संसाधन खत्म हो जाएंगे।
– लेदरबैक कछुओं के घोंसले खत्म होने की आशंका हो जाएगी।
क्षेत्र के पर्यावरणीय संरक्षण से संबंधित इन चिंताओं के साथ-साथ भूकंप से नौसैनिक परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी प्राथमिकता होनी चाहिए। इस पर दोबारा विचार करने की आवश्यकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 26 अगस्त, 2024