महिलाओं की यौन प्रताड़ना के बारे में

Afeias
11 Jan 2025
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हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश दिया है, जिसमें सभी सरकारी विभागों एवं कंपनियों से अपने यहाँ यौन-प्रताडना निरोधक कानूनों के क्रियान्वयन के बारे में कहा गया है। यह स्थिति तब है, जब देश में ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण (रोकथाम, निषेध, निवारण) अधिनियम‘ 2013 पहले से ही है।

  • 2023 में भी सर्वोच्च न्यायालय ने एक प्रोफेसर द्वारा छात्राओं के यौन उत्पीडन पर इस अधिनियम के क्रियान्वयन व प्रचार-प्रसार के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इस आदेश में शीबॉक्स पोर्टल तथा आंतरिक समितियों के गठन के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई थी।
  • पिछले वर्ष महिला पहलवानों के द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच में पाया गया कि अधिकांश अधिमान्य खेलों में आंतरिक शिकायत समितियाँ नहीं हैं। प.बंगाल की आर.जी. कर महिला अस्पताल की घटना पर भी इस बारे में वहाँ की सरकार की अस्पष्ट प्रतिक्रिया भी।
  • सरकारी समितियों का अच्छा प्रदर्शन निजी संस्थानों को इस कानून के प्रति प्रोत्साहित कर सकता है। लेकिन उपरोक्त मामलों से सरकारी संस्थानों की भूमिका भी स्पष्ट नहीं है।
  • 2018 में सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों को अपने वार्षिक रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न के मामलों को दर्शाना अनिवार्य कर दिया था।
  • एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट है कि कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि हुई है, और यह वृद्धि सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में है।
  • कई जगहों पर महिलाओं को शिकायत करने के लिए उचित प्रोत्साहन नहीं मिलता। प्रबंधकीय एवं संगठनात्मक बहिष्कार भी उन्हें हतोत्साहित करता है।

प्रशासन का ऐसा व्यवहार महिला अपराधों के प्रति उदासीनता को प्रदर्शित करता है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश हालात को व्यवस्थित करने की दिशा में एक सही कदम हैं।

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