लैंगिक असमानता से जुड़े कुछ तथ्य
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- 2023 की एनुअल जेंडर गैप रिपोर्ट में भारत आठ पायदान ऊपर चढ़ गया है। लेकिन अभी भी हम 146 देशों की सूची में 127 वें स्थान पर हैं।
- प्रतिशत में देखे, तो देश में लैंगिक अंतर 64.3% है।
- यह सूचकांक चार प्रमुख मानकों पर आधारित है –
आर्थिक भागीदारी और अवसर, शिक्षा प्राप्ति, स्वास्थ्य और उत्तरजीविता (सरवायकल)
- इनमें से कुछ क्षेत्रों में भारत ने काफी प्रगति की है। स्थानीय प्रशासन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 40% हो गया है। संसद में अभी भी महिलाओं का प्रतिशत 15.1% ही है। लंबे समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक के आने से इसमें सुधार होने की पूरी संभावना है।
- आर्थिक भागीदारी और अवसर में समानता के मामले में भारत बहुत पीछे है। इस मामले में 40% से भी कम समान अवसर उपलब्ध होते हैं। एक ओर जहाँ आय और वेतन में समानता की ओर बढ़ने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ और तकनीकी पदों पर महिलाओं की संख्या कम हो रही है।
- स्वास्थ्य और उत्तर जीविता के मामले में देखें, तो एक दशक की धीमी प्रगति के बाद जन्म के समय के लिंगानुपात में सुधार हुआ है।
अभी भी भारत को स्त्री शिक्षा और महिला कार्यबल में बहुत कुछ करने की जरूरत है। देश में महिलाओं को घर पर ही इतना अवैतनिक काम करना पड़ता है कि उनमें बाहर जाकर काम करने की शक्ति नही रह जाती है। लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच और आय के अवसरों की समानता से अपने आप ही पोषण, जरूरी विवाह, मातृ और शिशु स्वास्थ्य एवं मृत्यु दर आदि में बहुत सुधार हो सकेगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 जून, 2023
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