खतरे में पड़ता सुन्दरवन

Afeias
14 May 2021
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Date:14-05-21

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सुन्‍दरवन का जंगल दस हजार वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका 40 प्रतिशत भाग भारत के पश्चिम बंगाल में और शेष बांग्‍लादेश में है। लेकिन यूनेस्‍को द्वारा घोषित 102 द्वीप समूहों वाला विश्‍व धरोहर “सुन्‍दरवन” धीरे-धीरे तेजी से सिकुड़ता जा रहा है।

हाल ही में नासा की लैण्‍डसेट सेटेलाइट इमेज से पता चलता है कि सुन्‍दरवन में पिछले दो दशकों में समुद्र का जल स्‍तर हर साल औसतन 3.6 मिलीमीटर बढ़ा है।

सेटेलाइट इमेज से अनुमान लगाया गया है कि बंगाल की खाड़ी के समुद्री तापमान में हर वर्ष .019 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि हो रही है। इसके अनुसार सन 2050 तक सुन्‍दरवन के तापमान में एक डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि हो जायेगी। इसके परिणामस्‍वरूप समुद्र ज्‍यादा कार्बनडायआक्‍साइड शोषित करेगा। इसका सीधा प्रभाव जलीय जन्‍तुओं के जीवन पर पड़ेगा।

ज्ञातव्‍य है कि सुन्‍दरवन में विशेषकर मेंग्रो के जंगल हैं। यहाँ लगभग 40 प्रकार की माइक्रोंस, 270 प्रकार के शैवाल तथा 128 प्रकार के फायटो-प्‍लेंटास आदि पाये जाते हैं। बंगाल टाइगर सहित यह कई प्राणियों का शरणस्‍थल है। इसके नष्‍ट होने का जैव विविधता पर क्‍या दुष्‍प्रभाव पड़ेगा, समझा जा सकता है।

सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि बंगाल की खाड़ी में  पिछले 23 साल में 13 सुपर सायक्‍लोन आये हैं। मैंग्रो के वन इन तूफानों से जनधन की रक्षा करने में ढाल का काम करते हैं। एक अध्‍ययन में बताया गया है कि मैंग्रो चक्रवाती तूफान की तीव्रता को श्रेणी 5 से घटाकर 3 तक करने में सक्षम होते हैं। दुर्भाग्‍य की बात है कि पिछले 70 सालों में इनकी संख्‍या 76 प्रतिशत तक कम हो गई है। इसके संरक्षण के बारे में गंभीरता से विचार किये जाने की आवश्‍यकता है।

नासा की लैण्‍डसेट सेटेलाइट इमेज पर आधारित रिपोर्ट

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